श्री गणपति गुरु गौरी पद प्रेम सहित धरि माथ। चालीसा वंदन करो श्री शिव भैरवनाथ॥ श्री भैरव संकट हरण मंगल करण कृपाल। श्याम वरण विकराल वपु लोचन लाल विशाल॥ जय जय श्री काली के लाला। जयति जयति काशी- कुतवाला॥ जयति बटुक- भैरव भय हारी। जयति काल- भैरव बलकारी॥ जयति नाथ- भैरव विख्याता। जयति सर्व- भैरव सुखदाता॥ भैरव रूप कियो शिव …
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सागर तट पर बैट अकेला रातता तेरा नाम
कब आएगा तू गिरिधारी डेरे हुई घनश्याम सागर तट पर बैट अकेला रे… ||1|| करता पल पल तेरा वंदन युग युग का प्यासा मेरा मान करले अब स्वीकार मुरारी तू ये मेरा प्रणाम ||2|| कब आएगा तू गिरिधारी डेरे हुई घनश्याम सागर तट पर बैट अकेला रे… चारो ओर गिरे अंधियारा नाथ ना अपना एक सहारा सुधि पतवर पकड़ के …
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