देखा लखन का हाल तो श्री राम रो पड़े ।अंगत सुग्रीव जामवंत बलवान रो पड़े ॥ लंका विजय की अब मुझे, चाहत नहीं रही ।मुझमें धनुष उठाने की, ताकत नही रही ।रघुवर के साथ धरती, आसमान रो पड़े ॥ करने लगे विलाप, श्री राम फुटकर ।क्या मै जवाब दूँगा, अयोध्या में लौटकर ।जितने थे मन में राम के, अरमान रो …
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स्वातंत्र्य गर्व उनका जो नर फांको में प्राण गंवाते हैं
स्वातंत्र्य गर्व उनका, जो नर फाकों में प्राण गंवाते हैं , पर, नहीं बेच मन का प्रकाश रोटी का मोल चुकाते हैं । स्वातंत्र्य गर्व उनका, जिनपर संकट की घात न चलती है , तूफानों में जिनकी मशाल कुछ और तेज़ हो जलती है । स्वातंत्र्य उमंगो की तरंग, नर में गौरव की ज्वाला है , स्वातंत्र्य रूह की ग्रीवा …
Read More »विश्वामित्र द्वारा श्रीराम को दिव्यास्त्र-दान
ताटका वन में रात बिता कर महायशस्वी विशवामित्र हंसते हुए मीठे स्वर में श्रीरामचन्द्र जी से बोले- ‘महायशस्वी राजकुमार! तुम्हारा कल्याण हो। ताटका वध के कारण मैं तुम पर बहुत संतुष्ट हूं, अतः बड़ी प्रसन्नता के साथ तुम्हें सब प्रकार के अस्त्र दे रहा हूं।’ ‘इनके प्रभाव से तुम अपने शत्रुओं को- चाहे वे देवता, असुर, गन्धर्व अथवा नाग ही …
Read More »रामावतार
बहुत पुरानी कथा है। श्रीहरि के जय- विजय नाम के दो द्वारपाल थे। वे सनकादि ब्रह्मर्षियों के शाप से घोर निशाचर कुल में पैदा हुए। उनके नाम रावण और कुभ्करण थे। उनके अत्याचारों से पृथ्वी कांप उठी। वह पाप के भार को सह ना सकी। अंत में वह सभी देवताओं के साथ भगवान की शरण में गयी। देवताओं का प्रार्थना …
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