बात तब की है जब स्वामी विवेकानंद प्रसिद्ध नहीं हुए थे। उन्हें अच्छी किताबें पढ़ने का बहुत शौक था। एक बार वे देश में ही कहीं प्रवास पर थे। उनके गुरुभाई उन्हें एक बड़े पुस्तकालय से अच्छी-अच्छी किताबें लाकर देते थे। स्वामी जी की पढ़ने की गति बहुत तेज थी। मोटी-मोटी कई किताबें एक ही दिन में पढ़कर अगले दिन …
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