Breaking News

Tag Archives: Wish4Me

हनुमान जी के 5 अनोखे मंदिर

1. संकटमोचन हनुमान मंदिर भूतिया आशुतोष की पवित्र नगरी बनारस में स्थित है संकटमोचन हनुमान मंदिर। इस पवित्र नगरी में जिस स्थान पर अंजनीसुत ने गोस्वामी तुलसीदास को दर्शन दिए थे, वही स्थान अब संकटमोचन के नाम से प्रसिद्ध है। यहां की मूर्ति उस मुद्रा की प्रतिकृति है जिसमें गोस्वामी ने दर्शन किए थे। तुलसीदास ने स्वयं इस मूर्ति की …

Read More »

हनुमान जी के प्राचीन और चमत्कारी मंदिर

बालाजी हनुमान मंदिर मेहंदीपुर (राजस्थान): राजस्थान के दौसा जिले के निकट दो पहाड़ियों के बीच स्थित घाटा मेहंदीपुर नामक स्थान है, जहाँ एक विशाल शिला में स्वतः ही हनुमानजी की आकृति उभरी हुई है, जिसे श्री बालाजी महाराज कहते हैं। इसे हनुमानजी का बाल रूप माना जाता है। उनके चरणों में एक छोटा सा कुआं है जिसका जल कभी समाप्त …

Read More »

कितने शक्तिशाली हैं हनुमान जी

सुग्रीव, बाली दोनों ब्रह्मा के औरस (वरदान द्वारा प्राप्त) पुत्र हैं, और ब्रह्माजी की कृपा बाली पर सदैव बनी रहती है। जब बाली को ब्रह्माजी से ये वरदान प्राप्त हुआ कि जो भी उससे युद्ध करने उसके सामने आएगा उसकी आधी ताक़त बाली के शरीर मे चली जायेगी, और इससे बाली हर युद्ध मे अजेय रहेगा। बाली को अपने बल …

Read More »

अंगद ने 14 प्रकार की मृत्यु बतलाई।

जिसके शरीर का अंत हो गया हो उसी की मृत्यु हो गई है ऐसा नही है, शास्त्र में 14 प्रकार की मृत्यु बताई गई है |राम और रावण का युद्ध चल रहा था। तब अंगद रावण को बोला, तू तो मरा हुआ है। तुझे मारने से क्या फायदा ? रावण बोला– मैं जीवित हूँ, मरा हुआ कैसे ? अंगद बोले …

Read More »

श्री कनकधारा स्तोत्रम् || Shri Kanakdhara Stotram || Kanakadhara Stotra 21 shalok

॥ अथ श्री कनकधारा स्तोत्रम् ॥ अङ्गं हरेः पुलकभूषणमाश्रयन्ती भृङ्गाङ्गनेव मुकुलाभरणं तमालम्। अङ्गीकृताऽखिल-विभूतिरपाङ्गलीला माङ्गल्यदाऽस्तु मम मङ्गळदेवतायाः ॥१॥ जैसे भ्रमरी अधखिले कुसुमों से अलंकृत तमाल-तरु का आश्रय लेती है, उसी प्रकार जो प्रकाश श्रीहरि के रोमांच से सुशोभित श्रीअंगों पर निरंतर पड़ता रहता है तथा जिसमें संपूर्ण ऐश्वर्य का निवास है, संपूर्ण मंगलों की अधिष्ठात्री देवी भगवती महालक्ष्मी का वह कटाक्ष …

Read More »

श्रीमद्भगवद्गीताके बारहवें अध्यायका माहात्म्य

श्रीमहादेवजी कहते हैं – पार्वती ! दक्षिण दिशामें कोल्हापुर नामका एक नगर है , जो सब प्रकारके सुखोंका आधार , सिद्ध – महात्माओंका निवासस्थान तथा सिद्धि – प्राप्तिका क्षेत्र है । वह पराशक्ति भगवती लक्ष्मीका प्रधान पीठ है । सम्पूर्ण देवता उसका सेवन करते हैं । वह पुराणप्रसिद्ध तीर्थ भोग एवं मोक्ष प्रदान करनेवाला है । वहाँ करोड़ों तीर्थ और शिवलिङ्ग …

Read More »

श्रीमद्भगवद्गीता के एकादश अध्याय का माहात्म्य

shrimad-geeta

उसी मेघङ्कर नगरमें कोई श्रेष्ठ ब्राह्मण थे , जो ब्रह्मचर्यपरायण , ममता और अहंकारसे रहित , वेद – शास्त्रोंमें प्रवीण , जितेन्द्रिय तथा भगवान् वासुदेवके शरणागत थे । उनका नाम सुनन्द था । प्रिये ! वे शार्ङ्गधनुष धारण करनेवाले भगवान्के पास गीताके ग्यारहवें अध्याय विश्वरूपदर्शनयोगका पाठ किया करते थे । उस अध्यायके प्रभावसे उन्हें ब्रह्मज्ञानकी प्राप्ति हो गयी थी । …

Read More »

गीता के दसवें अध्याय का माहात्म्य

bhagwat-geeta

अब तुम दशम अध्यायके माहात्म्यकी परमपावन कथा सुनो , जो स्वर्गरूपी दुर्गमें जानेके लिये सुन्दर सोपान और प्रभावकी चरम सीमा है । काशीपुरीमें धीरबुद्धि नामसे विख्यात एक ब्राह्मण था , जो मुझमें प्रिय नन्दीके समान भक्ति रखता था । वह पावन कीर्तिके अर्जनमें तत्पर रहनेवाला , शान्तचित्त और हिंसा , कठोरता एवं दुःसाहससे दूर रहनेवाला था ।

Read More »

सातवें अध्याय का माहात्म्य

shiv

भगवान शिव कहते हैं- “हे पार्वती ! अब मैं सातवें अध्याय का माहात्म्य बतलाता हूँ, जिसे सुनकर कानों में अमृत-राशि भर जाती है। पाटलिपुत्र नामक एक दुर्गम नगर है जिसका गोपुर (द्वार) बहुत ही ऊँचा है। उस नगर में शंकुकर्ण नामक एक ब्राह्मण रहता था। उसने वैश्य वृत्ति का आश्रय लेकर बहुत धन कमाया किन्तु न तो कभी पितरों का तर्पण किया …

Read More »

श्रीमद्भागवद्गीता : माहात्म्य 06 अध्याय

bhagwat-gita-06 chapter

श्रीभगवान् कहते हैं– सुमुखि ! अब मैं छठे अध्याय का माहात्म्य बतलाता हूँ, जिसे सुननेवाले मनुष्यों के लिये मुक्ति करतलगत हो जाती है। गोदावरी नदीके तटपर प्रतिष्ठानपुर (पैठण) नामक एक विशाल नगर है, जहाँ मैं पिप्पलेश के नाम से विख्यात होकर रहता हूँ। उस नगर में जानश्रुति नामक एक राजा रहते थे, जो भूमण्डल की प्रजा को अत्यन्त प्रिय थे। …

Read More »