तुम कहाँ छुपे भगवान करो मत देरी | दुःख हरो द्वारकानाथ शरण मैं तेरी || दुख हरो द्वारिकानाथ शरण मैं तेरी || यही सुना है दीनबन्धु तुम सबका दुख हर लेते | जो निराश हैं उनकी झोली आशा से भर देते || अगर सुदामा होता मैं तो दौड़ द्वारका आता | पाँव आँसुओं से धो कर मैं मन की आग …
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