ढलते सूरज के साथ ही शाम की अगुवाई हो रही थी. अकेले अपनी गैलरी में कुर्सी पर बैठकर कलराव करते लौट कर अपने घर को जाते पंछियों को देख रहे थे ल उनका एक साथ उड़कर चहचहाना झुंड के रूप में एक साथ उड़ना उनको मानो कुछ याद दिला रहा था Read More »