दर पे तुम्हारे सांवरे सिर को झुका दिया, मैंने तुम्हारी याद में खुद को मिटा दिया, ओ सांवरे ओ सांवरे तिरछी तोरी नजर, घायल कर गई है मेरा फूलों सा जिगर,मुरली की तेरी तान ने पागल बना दिया, दर पे तुम्हारे साँवरे…… तुम देखो या ना देखो मेरे नसीब को, पर रहने दो मुझको सदा अपने करीब तो,है बार बार …
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