नजर तो करो हम पे दया की मुरारी,या कह दो हमें जानते ही नहीं होये रिश्ता पुराना है हमारा तुम्हारा,या अपना हमें मानते ही नहीं होनज़र तो करो हम पर…… हक़ीक़त हमारी छुपी तो नहीं है,तो फिर क्यों नजर तुम फिराए हुए हो।खता क्या हमारी पता ही नहीं है,यूँ चुपचाप फिर क्यों सजा दे रहे हो,नज़र तो करो हम पर……. …
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