घनन घनन घन घंटा वाजे चामुंडा के द्वार पर रुकी जहां पर काल रात्रि चण्ड मुण्ड को मारकर घनन घनन घन घंटा वाजे… निर्मल जल की धारा में पहले आकर इश्नान करो ज्योत जलाकर मन मंदिर में अंबे माँ का ध्यान धरो वरदानी से मांगों वर तुम दोनों हाथ पसार कर रुकी जहां पर काल रात्रि चण्ड मुण्ड को मारकर …
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नारद की समस्या
एक बार देवर्षि नारद अपने पिता ब्रम्हा जी के सामने “नारायण-नारायण” का जप करते हुए उपस्थित हुए और पूज्य पिताजी को दंडवत प्रणाम किया । नारद जी को सामने देख ब्रम्हा जी ने पुछा, “नारद! आज कैसे आना हुआ ? तुम्हारे मुख के भाव कुछ कह रहे हैं! कोई विशेष प्रयोजन है अथवा कोई नई समस्या ?” नारद जी ने …
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