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प्रेम का स्मारक ताजमहल नहीं यह हैtata-memorial

चित्र में दिखाई गई महिला की फोटो को ज़ूम करके देखेंगे तो उनके गले में पहना हुआ एक बड़ा डायमंड दिखाई देगा ….. यह 254 कैरेट का #जुबलीडायमंड है जो आकार और वजन में विश्व विख्यात #”कोहएनूर” हीरे से दोगुना है … ये महिला #मेहरबाईटाटा हैं जो जमशेदजी टाटा की बहू और उनके बड़े बेटे सर दोराबजी टाटा की पत्नी थीं …


सन 1924 में प्रथम विश्वयुद्ध के कारण जब मंदी का माहौल था और #टाटा कंपनी के पास कर्मचारियों को वेतन देने के पैसे नहीं थे… तब मेहरबाई ने अपना यह बेशकीमती जुबली डायमंड #इम्पीरियल बैंक में 1 करोड़ रुपयों में गिरवी* रख दिया था ताकि कर्मचारियों को लगातार वेतन मिलता रहे और कंपनी चलती रहे …


इनकी ब्लड #कैंसर से असमय मृत्यु होने के बाद सर दोराबजी टाटा ने भारत के कैंसर रोगियों के बेहतर इलाज के लिये यह हीरा बेचकर ही #टाटामेमोरियलकैंसर रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की थी …


प्रेम के लिये बनाया गया यह स्मारक #मानवता के लिये एक उपहार है …. विडम्बना देखिये हम प्रेम स्मारक के रुप मे ताजमहल को महिमामंडित करते रहते हैं ,और जो हमें जीवन प्रदान करता है, उसके इतिहास के बारे में जानते तक नहीं ….!
साभार

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