एक समय की बात है, तीन सूअर थे। उन्होंने अपना घर छोड़कर कहीं दूर जाने का निश्चय किया। एक जंगल में पहुँचकर उन तीनों ने अपना-अपना घर बनाया। पहले सूअर ने फूस से अपना घर बनाया।
दूसरे ने लकड़ी का घर बनाया और तीसरे सूअर ने ईंटों से पक्का घर बनाया।
एक रात, एक भूखा भेड़िया कहीं से घूमता हुआ उधर आ गया। उसने सूअर को देखा तो उसके मुँह में पानी आ गया। गरजदार आवाज में सूअर से वह बोला,
“मुझे घर के भीतर आने दो वरना मैं अभी फूँक मारकर तुम्हारा घर उड़ा दूंगा…”और उसने जोर से फूँक मारी… फूस का घर धराशायी हो गया।
सूअर जान बचाकर भागा और लकड़ी के घर में घुस गया। भेड़िया लकड़ी के घर के पास पहुँचा और सूअर को खाने के लिए जोर से फूँक मारी।
लकड़ी का घर भी गिर गया। दोनों सूअरों ने ईंटों के घर में भागकर अपनी जान बचाई। भेड़िया अब पक्के मकान में पहुँचा। वहाँ जाकर उसने जोर-जोर से फूँक मारी पर वह घर का कुछ नहीं बिगाड़ सका।
हारकर उसने घर की चिमनी से भीतर जाने का निर्णय किया। तीसरे सूअर ने चिमनी के नीचे आग जला रखी थी। भेड़िया जब चिमनी से नीचे उतरने लगा तो आग में गिर पड़ा और वह मर गया।
Moral of Story
शिक्षा : उचित समय पर ही कार्य कर लेना बेहतर है।