बहुत समय पहले की बात है. एक गाँव में एक गरीब किसान अपने परिवार के साथ रहता था. उसकी एक ही बेटी थी. वह बहुत सुंदर थी.
गरीब किसान ने गाँव के जमींदार से कर्ज लिया हुआ था. किंतु गरीबी के कारण वह कर्ज वापस नहीं कर पा रहा था.
जमींदार जब भी उस पर कर्ज वापस करने का दबाव बनाता, वह कुछ समय की मोहलत मांग लेता. ऐसे ही कई वर्ष बीत गए.
एक दिन जमींदार की दृष्टि किसान की सुंदर पुत्री पर पड़ी, जो युवा हो चुकी थी. किसान की बेटी को देख जमींदार उस पर मोहित हो गया.
वह किसान के पास गया और बोला, “मैं तुम्हारा पूरा कर्ज माफ़ कर दूंगा, अगर तुम अपनी बेटी का विवाह मेरे साथ कर दो.”
जमींदार के विवाह प्रस्ताव से किसान और उसकी बेटी हैरान रह गए. जमींदार अधेड़ उम्र का कुरूप व्यक्ति था. किसान ने अपनी सुंदर बेटी का विवाह उससे करने से इंकार कर दिया.
किसान की इंकार सुनकर जमींदार बौखला गया और तुरंत अपने कर्ज के पैसे मांगने लगा. किसान के पास पैसे नहीं थे, उसने मोहलत मांगी. लेकिन जमींदार ने मना कर दिया और उसे जेल पहुँचाने की धमकी देने लगा.
अंत में दोनों का मसला गाँव की पंचायत में पहुँचा. पूरा मामला सुनने के बाद पंच बोले, “ये मामला कुछ उलझा हुआ है. किसान तो कई वर्षों से कर्ज चुका नहीं पा रहा और उसकी स्थिति को देखते हुए लगता नहीं कि वह कर्ज चुका पायेगा. बेटी का विवाह वह जमींदार से करना नहीं चाहता. ऐसे में बहुत सोच-विचार कर हम ये फ़ैसला किसान की बेटी की किस्मत पर छोड़ते हैं….”
पंच आगे बोले,”…यहाँ जमीन पर काले और सफ़ेद कंकड़ पड़े हुए हैं. जमींदार इन कंकडों में से दो कंकड़ उठाकर दो थैलों में रखेगा. किसान की बेटी को बिना देखे उन थैलों में से कंकड़ निकालना होगा.
1. यदि वह काला कंकड़ निकालती है, तो उसे जमींदार से शादी करनी पड़ेगी और किसान का कर्ज माफ़ कर दिया जाएगा.
2 यदि वह सफ़ेद कंकड़ निकालती है, तो उसे जमींदार से शादी नहीं करनी पड़ेगी और किसान का कर्ज भी माफ़ कर दिया जायेगा.
3 यदि वह कंकड़ निकालने से इंकार करती हैं, तो किसान को जेल में डाल दिया जायेगा.”
पंचायत का फैसला सुनकर किसान और उसकी बेटी चिंता में पड़ गए. किसान तो सिर पकड़कर बैठ गया. इधर जमींदार ने जमीन में पड़े कंकड़ उठाकर थैली में डाल लिए.
जब जमींदार कंकड़ उठा रहा था, तो किसान की बेटी ने देख लिया कि उसने सबकी आखों में धूल झोंककर दोनों काले कंकड़ ही उठाये हैं.
अब किसान की बेटी किसी भी थैले से कंकड़ निकालती, वह काले रंग का ही होता. जमींदार इतना धूर्त होगा, ये उसने सोचा नहीं था.
लेकिन उसे किसी भी हाल में इस मुसीबत से बाहर निकलना था. वह अपना दिमाग दौड़ाने लगी. उसके सामने तीन विकल्प थे:
१. थैली में से कंकड़ निकालने से मना कर दे और पिता को जेल जाने दे.
२. थैली में से कंकड़ निकाले और चुपचाप जमींदार से शादी कर ले.
३. पंचों को जमींदार की धूर्तता के बारे में बता दे.
तीसरा विकल्प उसे ठीक लगा. लेकिन पंचों को बताने पर भी इस मुसीबत से छुटकारा नहीं मिलता. पंच जमींदार से कंकड़ बदलवा लेते और अंत में निर्णय उसकी किस्मत पर ही निर्भर करता.
वह ऐसा उपाय सोचने लगी, जिससे उसे पंचों को कुछ कहना भी ना पड़ना पड़े और वह जमींदार से शादी करने से बच भी जाए.
एक उपाय उसके दिमाग में आ ही गया. वह आगे बढ़ी और जमींदार की थैली में से एक कंकड़ निकाला. लेकिन उसे देखे बिना ही जमीन में गिरा दिया. जमीन में गिरकर वह कंकड़ अन्य कंकडों में जा मिला.
“हाय, ये क्या हो गया? कंकड़ का रंग तो मैं देख ही नहीं पाई और वह मेरे हाथों से नीचे गिर गया. अब मैं क्या करूं?” किसान की बेटी पंचो को देखकर जानबूझकर परेशान होने का नाटक करने लगी.
यह सुन एक पंच बोला, “कोई बात नहीं. तुमने जो कंकड़ निकाला था, अब उसे पहचानना संभव नहीं है. ऐसा करो जमींदार के दूसरे थैले में कंकड़ निकाल लो. वह जिस रंग का हुआ, उसके विपरीत रंग का कंकड़ ही तुमने पहले निकाला होगा.”
सभी पंच इस बात पर सहमत हो गये. इधर ये सुनकर जमींदार के होश उड़ गए. लेकिन अब वह क्या कहता? पासा पलट चुका था. वह चुप ही रहा.
किसान की बेटी ने जब थैले में से कंकड़ निकाला, तो वह काले रंग का था. सबने मान लिया कि पहले उसने सफ़ेद कंकड़ निकाला था. इस तरह वह जमींदार से शादी करने से बच गई और उसके पिता का कर्ज भी माफ़ हो गया.
सीख – मुसीबत के समय समझदारी से काम लेना चाहिए. जब भी मुसीबत आ पड़े, तो बिना हौसला खोये शांत दिमाग से विचार करना करो, कोई न कोई हल अवश्य निकलेगा.