तेरा रूप सजा के नैयन में बेठी हूँ वृंदावन में
लट प्रीत की एसी लागी तुझे ढूंड रही कण कण,
इक पग में राह निहारे तेरी श्याम से
कोई जाके केह दे निर्मोही घनश्याम से,
तेरे बिन कुछ न भावे पल पल तेरी याद सतावे
दिल वेचैनी में धडके शिंगार बी रास न आवे
सब लोग मारे है ताना अपना भी लागे है बेगाना
बस एसी लगन है लागी तेरे नाम से
कोई जाके केह दे निर्मोही घनश्याम से,
इक बात समज न पाऊ किस को कैसे बतलाऊ
सपने में जब तुझे देखू अपने से क्यों शरमाऊ,
जी करता है सब को बता दू तू छलियाँ है कर गया जादू
बदनाम किया है मुझको शरेआम रे,
कोई जाके केह दे निर्मोही घनश्याम से,,,,,