तेरी बँसी की धुन सुनने,
मैं वृन्दावन को आई हूँ l
मैं वृन्दावन को आई हूँ,
मैं बरसाने से आई हूँ l
तेरी बँसी की धुन सुनने,
मैं वृन्दावन को आई हूँ l
सुना है श्याम जी प्यारे,
“कि तुम माखन चुराते हो” l
तुम्हें माखन खिलाने को l
मैं मटकी साथ लाई हूँ,
तेरी बँसी की,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
सुना है श्याम जी प्यारे,
“कि तुम गईयाँ चराते हो” l
तेरी गईयाँ चराने को l
मैं लकुटी साथ लाई हूँ,
तेरी बँसी की,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
सुना है श्याम जी प्यारे,
“कि तुम नित रास रचाते हो” l
*तेरे नित रास रचाने को l
मैं गोपी बन के आई हूँ
तेरी बँसी की,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
सुना है श्याम जी प्यारे,
“कि तुम भजनों के रसिया हो” l
तुझे रसिया सुनाने को l
मैं पागल साथ लाई हूँ,
तेरी बँसी की,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
सुना है श्याम जी प्यारे,
“कि तुम कृपा खूब करते हो” l
तेरी किरपा मैं पाने को l
तेरे दरबार आई हूँ,
तेरी बँसी की,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,