थाम कर हाथ ये अब छुड़ाना नहीं
साँवरे टूट कर हम बिखर जायेंगे
एक तूझे छोड़ दूजा ठिकाना नहीं
छोड़ चौखट तेरी हम किधर जाएंगे
थाम कर हाथ ये।
ग़म की लहरों की, तेज रफ्तार है
नाव जीवन की, मेरी,मझधार है
बन के माझी मेरे साथ रहना सदा
नाँव बिन माझी के पार होती कहीं
तेरे होते किनारे, उतर जाएंगे
थाम कर हाथ ये।
थक गया था मै अपनों से हारकर
रिश्ते नातों को अपने सम्भाल कर
अपने स्वार्थ से है सबको मतलब यहाँ
सुख के साथी सभी दुख में पूछे नहीं
मिल ही जायेंगे वो हम जिधर जाएंगे
थाम कर हाथ ये।
जब से तुझपे किया, ऐतबार है
दिल में कुंदन खुशी बेशुमार है
श्याम तेरी शरण मुझको जन्नत मिली
मुझपे तेरी मेहरबानियाँ जो रही
सच कहूँ साँवरे हम संवर जाएंगे
थाम कर हाथ ये||