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निंदकों और आलोचकों से बचने का आसान उपाय

निंदकों और आलोचकों से बचने का आसान उपाय
निंदकों और आलोचकों से बचने का आसान उपाय

रविन्द्रनाथ टैगोर विचारक ही नही, बल्कि शांत साधक थे। वे भयमुक्त थे। उनका स्वभाव शांत थे। वह काफी कम बात किया करते थे। कुछ लोग रविन्द्रनाथ टैगोर जी की निंदा करते थे।

एक बार शरत् बाबू ने टैगोर से कहा, ‘मुझे आपकी निंदा सुनी नहीं जाती। आप अपनी आधारहीन आलोचना का प्रतिकार करें। टैगोर ने शांत भाव से इस बात को सुना और कहा, तुम जानते हो मैं निंदक और आलोचकों के स्तर तक नहीं जा सकता। मेरा अपना स्तर है। उसको छोड़कर मैं आलोचकों के स्तर तक जाऊं तभी उसका प्रतिकार हो सकता है। में ऐसा कभी नहीं चाहूंगा

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Ravindranath Tagore was not only a thinker but a quiet seeker. They were fearless. Their nature was calm. He used to talk a lot less. Some people used to condemn Ravindranath Tagore.

Once Sarat Babu told Tagore, ‘I am not heard of your condemnation. You have to defend your baseless criticism. Tagore heard this thing calmly and said, “You know I can not go to the level of slanderer and critics. My own level is. I can go to the level of critics except him, and only then he can be resisted. I would never want to do that. ‘

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