हरिद्वार के गुरुकुल कांगड़ी में स्वामी श्रद्धानंद के पास दिल्ली से हकीम अजमल खां, डॉ. अंसारी और कुछ मुस्लिम धर्म के अनुयायी मिलने पहुंचे। गुरुकुल में एक बड़ी यज्ञशाला थी जिसमें उस समय संध्या वंदन और हवन आदि हो रहा था।
मुस्लिम मित्र यज्ञशाला के पास खड़े आश्चर्य से हवन को देखते रहे। हवन समाप्त हुआ। स्वामीजी बड़े प्रेम से अपने इन अतिथियों से मिले। अतिथियों ने कहा, हमारा भी नमाज का समय हो रहा है। कोई स्थान बताइए जहां हम नमाज पढ़ सकें। स्वामीजी ने कहा कि हमारा हवन तो समाप्त हो चुका है, यह यज्ञशाला खाली है। आप यहां नमाज पढ़ सकते हैं।
हकीम अजमल खां और डॉ. अंसारी को इसकी आशा नहीं थी। परंतु स्वामीजी के मन में यह बात थी कि इन लोगों का भी तो ईश्वर की ही उपासना करनी है। यज्ञशाला और किसलिए होती है उपासना करने के लिए?
इसलिए उन्होंने यज्ञशाला में नमाज पढ़ लेने को कहा। मुस्लिम अतिथियों ने बड़े प्रेम से यज्ञशाला में नमाज पढ़ी। उसके बाद गुरुकुल के ब्रह्मचारियों के साथ बैठकर भोजन किया।
यह ह्दय की उदारता और सांप्रदायिक सद्भावना का बहुत ही अच्छा उदाहरण है। इसके सत्य घटना के कुछ दिन बाद ही मुस्लिम भाईयों ने स्वामी श्रद्धानंद को आदर सहित दिल्ली की जामा मस्जिद में बुलाया और उन का प्रवचन कराया।
In English
In Gurukul Kangri of Haridwar, Swami Shraddhanand came to meet Hakim Ajmal Khan, Dr. Ansari and followers of some Muslim religion from Delhi. There was a large yagya in Gurukul where evening Vandan and Havan were being used.
Looking at Havan with a surprise friend standing near the Muslim Yagna. Haven is over Swamiji met his guests with great love. The guests said, ‘Our time of prayer is also happening. Tell a place where we can pray namaz. Swamiji said that our Havan has been exhausted, this yagna is empty. You can read Namaz here.
Hakim Ajmal Khan and Dr. Ansari had no hope of this. But it was in the mind of Swamiji that these people also have to worship God. What does the yagya worship and worship for?
That is why he asked to read prayers in Yagna. Muslim guests read namaz in a Yajna with great love. After that, sit with the Gurukul’s Brahmins and take food.
It is a good example of heart’s generosity and communal harmony. Shortly after the incident, Muslim brothers called Swami Shraddhanand with respect to the Jama Masjid in Delhi and made a lecture on them.