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मन की शांति के लिए सबसे सरल युक्ति

मन की शांति के लिए सबसे सरल युक्ति
मन की शांति के लिए सबसे सरल युक्ति

एक सेठ के पास अपार धन-संपत्ति थी, किंतु फिर भी उसके मन को शांति न थी। एक दिन किसी व्यक्ति ने बताया कि अमुक नगर में एक साधु रहता है। वह लोगों को ऐसी सिद्धि देता है, जिससे मनचाही वस्तु प्राप्त हो जाती है।

सेठ उस साधु के पास के पास जाकर बोला, ‘महाराज मेरे पास बहुत पैसा है, लेकिन मन की शांति नहीं है।’ साधु ने कहा कि, ‘बेटा जैसा मैं करूं उसे चुपचाप देखते रहना।’ इससे तुम्हें मन में शांति करने की युक्ति मिल जाएगी।

अगले दिन साधु ने सेठ को कड़ी धूप में बिठाए रखा और खुद कुटिया में चले गए। सेठ गर्मी से बेहाल हो गया, मगर चुप रहा। दूसरे दिन साधु ने उसे कुछ भी खाने पीने को नहीं दिया और स्वयं तरह-तरह के पकवान खाता रहा, सेठ इस दिन भी चुप रहा।

तीसरे दिन सेठ गुस्से में वहां से जाने लगा तो साधु बोला, ‘क्यों, क्या हुआ? इस बात पर सेठ बोला, ‘महाराज, मैं यहां बड़ी आशा लेकर आया था, किंतु मुझे यहां निराशा ही मिली।’

इस बात के उत्तर पर साधु ने कहा, ‘मैनें तो तुम्हें शांति की युक्ति बता दी, पहले दिन जब मैनें तुम्हें धूप में बैठने के लिए कहा और मैं स्वयं कुटिया में बैठा तो, तुम्हें बताया कि मेरी छाया तुम्हारे काम नहीं आएगी।

यह तुम्हें समझ नहीं आने पर मैनें तुम्हें भूखा रखा और खुद भरपेट खाया। उससे मैनें तुम्हें समझाया कि मेरी साधना से तुम्हें सिद्धि नहीं मिलेगी। उसी तरह शांति भी तुम्हें अपनी मेहनत और पुरुषार्थ से ही मिलेगी।

मैं तुम्हारे मन को शांत नहीं कर सकता। उसके लिए तुम्हें खुद ही मन की शांति प्रदान करने वाले काम करने होंगे। यह सुनकर सेठ की आंखे खुल गईं और वह साधु से आशीर्वाद लेकर अपने घर चला गया।

In English

A Seth possessed immense wealth, but still he did not have peace. One day a person told that a monk lives in such a city. He gives such a thing to the people, that the object is received.

Seth went near the monk and said, ‘Maharaj, I have a lot of money, but there is no peace of mind.’ The sadhu said, ‘keep watching the child as I do.’ This will give you a sense of peace in mind.

The next day, the sadhu kept Seth in a very strong sun and moved himself to the cottage. Seth became frustrated with heat, but remained silent On the second day, the sadhu did not give him anything to eat and was eating a variety of dishes, Seth remained silent on this day too.

On the third day, Seth began to go there in anger, the sadhu said, ‘Why, what happened? Seth said, ‘Maharaj, I had come here with great hope, but I got disappointment here.’

On this reply the sadhu said, ‘I told you the tricks of peace, the first day when I told you to sit in the sun and sitting in the cottage itself, you told me that my shadow will not work for you.

When you did not understand this, I kept you hungry and ate selfishly. He explained to me that you will not get the achievement from my spiritual practice. In the same way, peace will be given to you only through your hard work and happiness.

I can not calm your mind. For that, you have to do the work of giving peace of mind to yourself. Listening to this, Seth’s eyes were opened and he took a blessing from a sadhu and went home.

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