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जातक कथा: महिलामुख हाथी!!

बहुत समय पहले की बात है राजा चन्द्रसेन के अस्तबल में एक हाथी रहता था। उसका नाम था महिला मुख। महिला मुख हाथी बहुत ही समझदार, आज्ञाकारी और दयालु था। उस राज्य के सभी निवासी महिला मुख से बहुत प्रसन्न रहते थे। राजा को भी महिला मुख पर बहुत गर्व था।

कुछ समय बाद महिला मुख के अस्तबल के बाहर चोरों ने अपनी झोपड़ी बना ली। चोर दिनभर लूट-पाट और मार-पीट करते और रात को अपने अड्डे पर आकर अपनी बहादुरी का बखान करते थे। चोर अक्सर अगले दिन की योजना भी बनाते कि किसे और कैसे लूटना है। उनकी बातें सुनकर लगता था कि वो सभी चोर बहुत खतरनाक थे। महिला मुख हाथी उन चोरों की बात सुनता रहता था।

कुछ दिन बाद महिला मुख पर चोरों की बातों का असर होने लगा। महिला मुख को लगने लगा कि दूसरों पर अत्याचार करना ही असली वीरता है। इसलिए, महिला मुख ने फैसला लिया कि अब वो भी चोरों की तरह अत्याचार करेगा। सबसे पहले महिला मुख ने अपने महावत पर वार किया और महावत को पटक-पटक कर मार डाला।

इतने अच्छे हाथी की ऐसी हरकत देखकर सारे लोग परेशान हो गए। महिला मुख किसी के काबू में नहीं आ रहा था। राजा भी महिला मुख का ये रूप देखकर चिंतित हो रहे थे। फिर राजा ने महिला मुख के लिए नए महावत को बुलाया। उस महावत को भी महिला मुख ने मार गिराया। इस तरह बिगड़ैल हाथी ने चार महावत कुचल दिए।

महिला मुख के इस व्यवहार के पीछे क्या कारण था यह किसी को समझ नहीं आ रहा था। जब राजा को कोई रास्ता नहीं सूझा, तो उसने एक बुद्धिमान वैद्य को महिला मुख के इलाज के लिए नियुक्त किया। राजा ने वैद्य जी से आग्रह किया कि जितनी जल्दी हो सके महिला मुख का इलाज करें, ताकि वो राज्य में तबाही का कारण नहीं बन सके।

वैद्य जी ने राजा की बात को गंभीरता से लिया और महिलामुख की कड़ी निगरानी शुरू की। जल्द ही वैद्य जी को पता चल गया कि महिला मुख में ये परिवर्तन चोरों के कारण हुआ है। वैद्य जी ने राजा को महिला मुख के व्यवहार में परिवर्तन का कारण बताया और कहा कि चोरों के अड्डे पर लगातार सत्संग का आयोजन कराया जाए, ताकि महिला मुख का व्यवहार पहले की तरह हो सके। राजा ने ऐसा ही किया। अब अस्तबल के बाहर रोज सत्संग का आयोजन होने लगा। धीरे-धीरे महिलामुख की दिमागी हालत सुधरने लगी।

कुछ ही दिनों में महिला मुख हाथी पहले जैसा उदार और दयालु बन गया। अपने पसंदीदा हाथी के ठीक हो जाने पर राजा चंद्रसेन बहुत प्रसन्न हुए। चन्द्रसेन ने वैद्य जी की प्रशंसा अपनी सभा में की और उन्हें बहुत से उपहार भी प्रदान किए।

कहानी से सीख:

संगति का असर बहुत जल्दी और गहरा होता है। इसलिए, हमेशा अच्छे लोगोंं की संगत में रहना चाहिए और सभी के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए।

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