एक जंगल में एक बारहसिंगा रहता था. उसके बारह सींग थे, जो बहुत सुंदर थे. मगर पैर पतले और भद्दे थे. उसे अपने सींगों पर बड़ा घमंड था. जब भी वह नदी पर पानी पीने जाता, तो नदी के स्वच्छ और शांत जल में अपने सुंदर सींगों को देखकर बहुत खुश होता. किंतु अपने पैरों को देखकर दु;खी हो जाता. वह हमेशा सोचता कि भगवान ने उसे सींग तो बड़े सुंदर दिए हैं, लेकिन पैर बहुत ही भद्दे. ऐसे पैर किस काम के?
एक दिन वह नदी से पानी पी रहा था. तभी जंगल में शिकार के लिए भटकते एक भूखे शेर की नज़र उस पर पड़ गई. वह उस पर झपट्टा मारने आगे बढ़ने लगा. बारहसिंगा को जब शेर की आहट सुनाई पड़ी, तो उसने पलटकर देखा. अपने प्राण संकट में देख वह भागा और और कुछ ही देर में शेर की पहुँच से बहुत दूर निकल गया.
शेर से अपने प्राण बचाकर वह चैन की साँस ले ही रहा था कि उसके बारह सींग झाड़ियों में फंस गए. वह उन्हें छुड़ाने का प्रयत्न करने लगा, किंतु सफल न हो सका. कुछ ही देर में शेर उस तक पहुँच गया.
शेर को अपने सामने पाकर बारहसिंगा स्वयं को कोसने लगा कि व्यर्थ ही वह अपने पैरों को कमतर समझ रहा था और सींगों पर घमंड कर रहा था. अपने भद्दे पैरों के कारण वह शेर से बचकर निकल पाया था, लेकिन अब अपने सुंदर सींगों के कारण वह मुसीबत में फंस गया है.
किंतु समय हाथ से निकल चुका था. अब बारहसिंगा कुछ नहीं कर सकता था. सामने खड़े शेर ने उस पर झपट्टा मारा और उसे मारकर खा गया.
जिन पैरों को बारहसिंगा कोस रहा था, उसने उसके प्राण लगभग बचा लिए थे. किंतु जिन सुंदर सीगों पर उसे घमंड था, उनके कारण वह मौत के मुँह में जा फंसा और अंततः अपने प्राणों से हाथ धो बैठा.
सीख (The Vain Stag Story In Hindi Moral)
किसी भी वस्तु का महत्त्व उसकी सुंदरता में नहीं, बल्कि उसके गुणों में है ||