एक पेड़ पर एक चिड़िया अपने पति के साथ रहा करती थी। चिड़िया सारा दिन अपने घोंसले में बैठकर अपने अंडे सेती रहती थी और उसका पति दोनों के लिए खाने का इंतजाम करता था। वो दोनों बहुत खुश थे और अंडे से बच्चों के निकलने का इंतजार कर रहे थे।
एक दिन चिड़िया का पति दाने की तलाश में अपने घोंसलें से दूर गया हुआ था और चिड़िया अपने अंडों की देखभाल कर रही थी। तभी वहां एक हाथी मदमस्त चाल चलते हुए आया और पेड़ की शाखाओं को तोड़ने लगा। हाथी ने चिड़िया का घोंसला गिरा दिया, जिससे उसके सारे अंडे फूट गए। चिड़िया को बहुत दुख हुआ। उसे हाथी पर बहुत गुस्सा आ रहा था। जब चिड़िया का पति वापस आया, तो उसने देखा कि चिड़िया हाथी द्वारा तोड़ी गई शाखा पर बैठी रो रही है। चिड़िया ने पूरी घटना अपने पति को बताई, जिसे सुनकर उसके पति को भी बहुत दुख हुआ। उन दोनों ने घमंडी हाथी को सबक सिखाने का निर्णय लिया।
वो दोनों अपने एक दोस्त कठफोड़वा के पास गए और उसे सारी बात बताई। कठफोड़वा बोला कि हाथी को सबक मिलना ही चाहिए। कठफोड़वा के दो दोस्त और थे, जिनमें से एक मधुमक्खी थी और एक मेंढक था। उन तीनों ने मिलकर हाथी को सबक सिखाने की योजना बनाई, जो चिड़िया को बहुत पसंद आई।
अपनी योजना के तहत सबसे पहले मधुमक्खी ने हाथी के कान में गुनगुनाना शुरू किया। हाथी जब मधुमक्खी की मधुर आवाज में खो गया, तो कठफोड़वे ने आकर हाथी की दोनों आखें फोड़ दी। हाथी दर्द के मारे चिल्लाने लगा और तभी मेंढक अपने परिवार के साथ आया और एक दलदल के पास टर्रटराने लगा। हाथी को लगा कि यहां पास में कोई तालाब होगा। वह पानी पीना चाहता था, इसलिए दलदल में जाकर फंसा। इस तरह चिड़िया ने मधुमक्खी, कठफोड़वा और मेंढक की मदद से हाथी से बदला ले लिया।
कहानी से सीख – बच्चों, इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि एकता और विवेक का उपयोग करके बड़ी से बड़ी मुसीबत को हराया जा सकता है।