मनोरम नामक वन में एक बहुत ही सुंदर बड़ा सा तालाब था। तालाब चारों ओर से सुंदर – सुंदर वृक्षों वह फूल – पौधों से घिरा हुआ था। तालाब के भीतर मखाने व सिंघाड़े के पौधे लगे हुए थे। तलाब में सदैव पानी की मात्रा बनी रहती थी , क्योंकि उसके निकट से एक स्वच्छ कल – कल धारा वाली नदी प्रवाहित होती थी। एक समय की बात है दो मछुआरे मनोरम वन में विश्राम कर रहे थे , तभी उन्होंने देखा उस तालाब में खूब सारी मछलियां उपलब्ध है।
दोनों मछुआरे आश्चर्यचकित होकर विचार – विमर्श करते हुए कहते हैं !
हमें आज तक इस तालाब का पता क्यों नहीं चला। काफी समय हो गया था संध्या हो चुकी थी इसलिए दोनों आपस में बात करते हुए वहां से लौट गए कि कल आकर यहां पर जाल बिछाया जाएगा। यह बात तालाब में बैठी तीन दोस्त मछलियो ने सुन ली। उन्होंने आपस में मंत्रणा की कि यह बात पक्की हो गई कि अगले दिन मछुआरा आकर यहां जाल बिछाएगा और हम सभी को पकड़ लेगा।
क्यों ना हम लोग तालाब से निकलकर नदी में चलें ?
उन मछलियों में से एक मछली दोस्त आलसी थी।
उसने बात को स्वीकार नहीं किया और कहा कि जब मछुआरे आएंगे तब हम कहीं छुप जाएंगे।
अगले दिन जैसे ही मछुआरा आया एक मछली दोस्त छलांग लगाकर नदी में भाग गई।
आलसी मछली और एक और मित्र भी उन सभी मछलियों के साथ जाल में पकड़ी गई।
किंतु जैसे ही मछुआरा जाल समेटने के लिए आगे बढ़ा तो समझदार मछली ने मरे हुए होने का झूठा स्वांग , नाटक किया। मछुआरे ने मरा हुआ समझकर उस मछली को निकालकर फेंक दिया। वह मछली अपनी समझदारी का प्रयोग करते हुए उछलकर नदी में भाग गई , किंतु जो आलसी मछली थी वह जाल में पड़ी रही। मछुआरों ने उसे ले जाकर बाजार में बेच दिया इस प्रकार उसके प्राण निकल गए। अतः बुद्धि का प्रयोग अवश्य करना चाहिए बुद्धि का प्रयोग करके ही हम विकट परिस्थितियों में बच सकते हैं।
नैतिक शिक्षा
बुद्धि का प्रयोग समय पर करना चाहिए इससे भविष्य की रचना होती है अन्यथा मृत्यु।