एक राजा, वह जब भी मंदिर जाता, तो 2 भिखारी उसके दाएं और बाएं बैठा करते।
दाईं तरफ़ वाला कहता: “हे ईश्वर, तूने राजा को बहुत कुछ दिया है, मुझे भी दे दे.!”
बाईं तरफ़ वाला कहता: “ऐ राजा.! ईश्वर ने तुझे बहुत कुछ दिया है, मुझे भी कुछ दे दे.!”
दाईं तरफ़ वाला भिखारी बाईं तरफ़ वाले से कहता: ईश्वर से माँग वह सबकी सुनने वाला है।
बाईं तरफ़ वाला जवाब देता: “चुप कर मूर्ख”
एक बार राजा ने अपने मंत्री को बुलाया और कहा, “कि मंदिर में दाईं तरफ जो भिखारी बैठता है वह हमेशा ईश्वर से मांगता है तो अवश्य ईश्वर उसकी ज़रूर सुनेगा।
लेकिन जो बाईं तरफ बैठता है वह हमेशा मुझसे फ़रियाद करता रहता है, तो तुम ऐसा करो, कि एक बड़े से बर्तन में खीर भर के उसमें स्वर्ण मुद्रा डाल दो और वह उसको दे आओ.!
मंत्री ने ऐसा ही किया.. अब वह भिखारी मज़े से खीर खाते-खाते दूसरे भिखारी को चिड़ाता हुआ बोला: “हुह… बड़ा आया ईश्वर देगा..’, यह देख राजा से माँगा, मिल गया ना.?”
खाते खाते जब इसका पेट भर गया, तो इसने बची हुई खीर का बर्तन उस दूसरे भिखारी को दे दिया और कहा: “ले पकड़… तू भी खाले, मूर्ख..”
अगले दिन जब राजा आया तो देखा कि बाईं तरफ वाला भिखारी तो आज भी वैसे ही बैठा है लेकिन दाईं तरफ वाला ग़ायब है।
राजा नें चौंक कर उससे पूछा: “क्या तुझे खीर से भरा बर्तन नहीं मिला?”
भिखारी: “जी मिली थी राजा जी, क्या स्वादिस्ट खीर थी, मैंने ख़ूब पेट भर कर खायी.!”
राजा: “फिर..?”
भिखारी: “फ़िर जब मेरा पेट भर गया तो वह जो दूसरा भिखारी यहाँ बैठता है मैंने उसको दे दी, मुर्ख हमेशा कहता रहता है: ‘ ईश्वर देगा, ईश्वर देगा तो मेंने कहा, “ले बाकी की बची हुई तू खा लेना—“
राजा मुस्कुरा कर बोला: “अवश्य ही, ईश्वर ने उसे दे ही दिया.!”🙏🏻🙏🏻
दोस्तों इस दुनिया में हर कोई यही सोचता है कि यह सब मैंने किया है या यह सब काम मैने करवाया है जबकि करने वाला और करवाने वाला तो कोई और है जो हमसे यह सब करवा देता है और हमें पता भी नही लगता इसलिए किसी को भी अपने मन में किसी प्रकार का घमंड नहीं करना चाहिए।
जय श्री कृष्णा।