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इस भाव में केंद्रित है जीत का मनोविज्ञान

बात उस समय की है जब जापान में दो राज्यों के बीच युद्ध चल रहा था। युद्ध अपने चरम पर था। आने वाला कल युद्ध का आखिरी दिन था। ऐसे कठिन समय में जापान के एक राज्य के सेनापति ने अपनी सेना के समस्त सरदारों के साथ बैठक की। बैठक में पक्ष और विपक्ष की शक्ति को लेकर चर्चा हुई।

शत्रु की सेना संख्या, हथियार और अपनी क्षमता सहित हर तरह से उन पर हावी थी। बैठक करने वाले राज्य के सरदारों का आत्मविश्वास डगमगाने लगा। लेकिन सेनापति पीछे नहीं हटना चाहता था। तब उसने सैनिकों से कहा, ‘निर्णय सुबह होगा।’

सुबह हुई, सेना  चलते-चलते एक मंदिर के सामने रुकी। सेनापति पूजा के लिए मंदिर में चला गया। थोड़ी देर बाद वह मंदिर से वापिस निकला और उसने सैनिकों से कहा, मेरे पास अभिमंत्रित किया हुआ सिक्का है। यह हमें बताएगा कि युद्ध लड़ना है या पीछे हटना है। इसके बाद उसने सिक्‍के को आसमान में उछाला। सिक्का उछालने के पहले उसने कहा था कि अगर चित्त आता है तो विजय होगी और पट आता है तो पराजय।

सिक्का जमीन पर गिरा। लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई। क्योकि सिक्का चित्त की तरफ से गिरा था। सैनिकों का आत्मविश्वास फिर से जाग गया। युद्ध के मैदान में जब दोनों सेनाएं आमने-सामने थी तो आत्मविश्वास से भरी सेना ने जमकर युद्ध किया। हुआ यूं कि उन्होंने अपने से ज्यादा भारी सेना के लोगों को हरा दिया।

युद्ध समाप्त हो चुका था। विजयी सेना के सरदार ने दूसरे सरदार से कहा, ‘हमें तो जीतना ही था।’ यह सुनकर सेनापति ने सरदार को अपने पास बुलाया और वह अभिमंत्रित सिक्का दिखाया। उस सिक्के के दोनों तरफ चित्त बना हुआ था।

संक्षेप में

कठिन परिस्थितियों में जो अभिमंत्रित सिक्का हमें सफलता दिलाता है, वही आत्मविश्वास है। यदि विश्वास दृढ़ हो कि यह कार्य करना है तो सैकड़ों बाधाओं को पार करके भी हम उसमें सफल हो जाएंगे।जीत का मनोविज्ञान आत्मविश्वास में निहित है। इसलिए कहा भी गया है कि, ‘मन के हारे हार है मन के जीते जीत।’

Hindi to English

The point is when the war between two kingdoms was going on in Japan. The war was at its peak. The tomorrow evening was the last day of the war. In such a difficult time, the commander of a state of Japan held a meeting with all the soldiers of his army. The discussion took place in the meeting about the power of the party and opposition.

The enemy’s army, with their weapons and their capabilities, dominated them in every way. The meeting leaders of the meeting began to shudder the confidence of the warlords. But the commander did not want to go back. Then he said to the soldiers, ‘The decision will be in the morning.’

In the morning, the army stopped in front of a temple. Senapati went to the temple for worship. After a while, he returned from the temple and told the soldiers, I have a coin that is invited. It will tell us whether to fight or to retreat. After this he tossed the coin in the sky. Before tossing the coin, he had said that if the mind comes, then there will be victory and if it comes, then defeat is defeated.

Coin dropped on the ground. People ran into a wave of happiness. Because the coin was dropped from the side of Chitta. The confidence of the soldiers woke up again. When both the armies were face-to-face in the battlefield, a confident army fought hardly. It happened because he defeated the people of his heavier army.

The war was over. The commander of the victorious army said to another, “We had to win.” Upon hearing this, the commander summoned the Sardar to him and he showed the boiled coin. The coin was made on both sides of that coin.

in short

In the toughest situations, the magnificent coin that gives us success is the same confidence. If the belief is that it is to be done then we will succeed in crossing hundreds of obstacles. The psychology of life lies in self-confidence. That is why it has been said that, ‘The loss of the mind is the defeat of the mind.’

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