शमी वृक्ष के पूजन को लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं। लेकिन शमी वृक्ष के पूजन के पीछे एक वजह यह है भी बताते हैं कि महाभारत के युद्ध में पांडवों ने इसी वृक्ष के ऊपर अपने हथियार छुपाए थे जिसके बाद में उन्हें कौरवों से जीत प्राप्त हुई थी। इसी कारण क्षत्रियों में इस पूजन का महत्व ज्यादा है।
मान्यता है कि घर में शमी का पेड़ लगाने से देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है और घर में सुख-समृद्धि आती है. साथ ही यह वृक्ष शनि के कोप से भी बचाता है.
न्याय के देवता शनि को खुश करने के लिए शास्त्रों में कई उपाय बताए गए हैं, जिनमें से एक है शमी के पेड़ की पूजा. शनिदेव की टेढ़ी नजर से रक्षा करने के लिए शमी के पौधे को घर में लगाकर उसकी पूजा करनी चाहिए.
पीपल और शमी दो ऐसे वृक्ष हैं, जिन पर शनि का प्रभाव होता है. पीपल का वृक्ष बहुत बड़ा होता है, इसलिए इसे घर में लगाना संभव नहीं होता. वास्तु शास्त्र के मुताबिक, नियमित रूप से शमी वृक्ष की पूजा की जाए और इसके नीचे सरसों तेल का दीपक जलाया जाए, तो शनि दोष से कुप्रभाव से बचाव होता है.
शमी के वृक्ष पर कई देवताओं का वास होता है. सभी यज्ञों में शमी वृक्ष की समिधाओं का प्रयोग शुभ माना गया है. शमी के पंचांग, यानी फूल, पत्ते, जड़ें, टहनियां और रस का इस्तेमाल कर शनि संबंधी दोषों से जल्द मुक्ति पाई जा सकती है.
शमी को वह्निवृक्ष भी कहा जाता है. आयुर्वेद की दृष्टि में तो शमी अत्यंत गुणकारी औषधि मानी गई है. कई रोगों में इस वृक्ष के अंग काम आते हैं.
पौराणिक मान्यताओं में शमी का वृक्ष बड़ा ही मंगलकारी माना गया है. लंका पर विजयी पाने के बाद श्रीराम ने शमी पूजन किया था. नवरात्र में भी मां दुर्गा का पूजन शमी वृक्ष के पत्तों से करने का विधान है. गणेश जी और शनिदेव, दोनों को ही शमी बहुत प्रिय है.
शमी वृक्ष की पूजा के पीछे एक और कहानी प्रचलित है। ये भी कहा जाता है कि जिस साल शमी वृक्ष ज्यादा फूलता-फलता है उस साल सूखे की स्थिति का निर्माण होता है।
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