तोरा मन दर्पण केहलाये,
भले बुरे सारे कर्मो को देखे और दिखाए,
तोरा मन दर्पण केहलाये,
मन ही देवता मन ही इश्वर मन से बड़ा न कोये,
मन उजियारा जब जब फैले जग उजियारा होए,
इस उजले दर्पण पर प्राणी धुल न जमने पाए,
तोरा मन दर्पण केहलाये,
सुख की कलियाँ दुःख के कांटे मन सब का आधार,
मन से कोई बात छुपे न मन के नैन हजार,
जग से चाहे भाग ले कोई मन से भाग न पाए,
तोरा मन दर्पण केहलाये,
तन की दोलत ढलती छाया मन का धन अनमोल
तन के कारण मन के धन को मत माटी में रोल
मन की कदर बुलाने वाला हीरा जन्म गवाए,
तोरा मन दर्पण केहलाये………..