बात उस समय की है जब गुरु नानक देव लाहौर यात्रा पर थे। वह एक अजीब नियम था। वो यह कि जिस व्यक्ति के पास जितनी अधिक संपत्ति वह अपने घर के ऊपर उतने ही झंडे लगाता था।
लाहौर में दुनीचंद्र के पास 20 करोड़ रुपए की संपत्ति थी। इसलिए उसके घर की छत पर 20 झंडे फहरा रहे थे। दुनीचंद्र को पता चला कि गुरु नानक जी लाहौर आए हैं तो वो उनसे मिलने गया। दुनीचंद्र ने गुरुनानक जी से सेवा का अवसर मांगा।
गुरु नानक जी ने उसे एक सुई देते हुए कहा, इसे ले जाइए और अगले जन्म में मुझे वापस कीजिएगा। दुनीचंद्र ने सुई ले ली। लेकिन उसने सोचा कि अगले जन्म में यह सुई मैं कैसे ले जा सकूंगा। वह वापस गुरु नानक जी के पास गया और उसने कहा, मरने के बाद में यह सुई कैसे ले जा सकता हूं।
तब गुरु नानक जी ने कहा, जब तुम एक सुई अपने अगले जन्म में नहीं ले जा सकते तो इतनी सारी संपत्ति कैसे ले जा सकोगे। दुनीचंद्र ने जब यह बात सुनी तो उसकी आंखें खुल गईं। इस तरह उसने सभी दीन-दुखियों की मदद करना शुरू कर दिया।
संक्षेप में
धन का संचय उतना ही करना चाहिए जितनी जरूरत हो। लालच के चलते हम धन का संचय तो करते हैं लेकिन क्या आप उसे अपने अगले जन्म में ले जा सकेंगे। शायद नहीं। इस तरह सच्ची सीख देकर गुरु नानक जी ने दुनीचंद्र की आंखें खोल दीं।
Hindi to English
The talk is about when Guru Nanak Dev was on a journey to Lahore. That was a strange rule. It is that the person who had as much wealth as he used to have as many flags on his house.
Dual Chandra had a property worth Rs 20 crores in Lahore. So, 20 flags were floating on the roof of his house. Dunnichandra learned that Guru Nanak had come to Lahore so he went to meet him. Duneichandra sought an opportunity to serve Gurunanak ji.
Guru Nanak said, giving it a needle, take it and return it to me in the next life. Duneichand took the needle But he thought how I could take this needle in the next life. He went back to Guru Nanak and said, how can I take this needle after death?
Then Guru Nanak said, “When you can not take a needle in your next life, how can you take so many assets?” When Duneichandra listened to this, his eyes were opened. In this way he started helping all the oppressed.
in short
The accumulation of wealth should be done as much as needed. Due to greed, we accumulate wealth but will you be able to take it in your next life? Probably not. By giving such a true education, Guru Nanak opened the eyes of Doni Chandra.