सुध बुध मैंने गवाई ओ मोहन
तुझ संग प्रीत लगाई ओ मोहन,
मोहन मोहन मेरे प्यारे मोहन
हरे कृष्णा कृष्णा बोलो हरे हरे
तुम संग रिश्ता जोड़ा कन्हाई
जग से रिश्ता तोडा कन्हाई
भोर बई निंदिया नैन से काहे प्रेम की ज्योत जलाई
मोहन मोहन मेरे प्यारे मोहन
दर्शन को प्यासी यो मोरी अखियाँ
हस्ती है मुझपर ये मोरी सखियाँ
मैं क्या बोलू तुम से कान्हा सही न जाए अब ये जुदाई
मोहन मोहन मेरे प्यारे मोहन
बरसाने में ढूंडा मैंने तुझको वृंदावन में ढूंडा मैंने तुझको
जो देखा तुझे मन मन्दिर में तुझ्संग मैं प्रीत लगाई
मोहन मोहन मेरे प्यारे मोहन………….