तूम मुझे यु जला न पाओगे,
जैसे लंका जली जला मैं भी इक दिन तुम भी जलाए जाओगे
तूम मुझे यु जला न पाओगे,
मैंने सीता हरी हरी के लिए रक्षक कुल की बेहतरी के लिए
मैंने रुलाया प्रभु को वन वन में
तुम हरी को रुला न पाओगे
तूम मुझे यु जला न पाओगे,
आज रावन से राम डरते है आज लक्षमण भी सीता हरते है
छीने हक आज भरत भाई का श्तुरता शत्रु धन में पाओ गे,
तूम मुझे यु जला न पाओगे,
सीता हरना तो इक बहाना था मैंने दर्शन प्रभु का पाना था,
मैंने जल कर भी नाम अपना किया
बेधक् तुम जलाए जाओगे
तूम मुझे यु जला न पाओगे……………