तुम से नैना मिला के कन्हिया हुआ दीवाना सारा ज़माना,
है जादू क्या नजरो में तेरी राज अब तक किसी ने न जाना
तेरा पर्दा हते मुख से मोहन लुट ले चुप के से सब का ये मन,
तेरी चितवन पे मन जिसका अटका हुआ अपनों से खुद वो बेगाना
तेरे नैना बरे रस के प्याले सब पी कर हुए मतवाले
प्यास लग जाए तेरे मिलन की फिर मुश्किल है इसको बुजाना,
तेरी याद में रेहते है ऐसे प्रेम का रोग लग जाए जैसे
दिल केहता है फिर हर किसी का क्या गजब तुमसे नजरे मिलाना
इक मैं भी हुई तेरी पागल बांके नैनो में दिल मेरा घ्याल
गोपाल के बांके बिहारी तेरे चरणों में मेरा ठिकाना……….