रोटी के प्रकार……(पढ़ना जरूर)
कुछ बुजुर्ग दोस्त एक पार्क में बैठे हुऐ थे, वहाँ बातों -बातों में रोटी की बात निकल गई।
तभी एक दोस्त बोला – जानते हो कि रोटी कितने प्रकार की होती है?
किसी ने मोटी, पतली तो किसी ने कुछ और हीं प्रकार की रोटी के बारे में बतलाया।
तब एक दोस्त ने कहा कि नहीं दोस्त…भावना और कर्म के आधार से रोटी चार प्रकार की होती है।”
पहली “सबसे स्वादिष्ट” रोटी “#माँ की “ममता” और “वात्सल्य” से भरी हुई। जिससे पेट तो भर जाता है, पर मन कभी नहीं भरता।
एक दोस्त ने कहा, सोलह आने सच, पर शादी के बाद माँ की रोटी कम ही मिलती है।”
उन्होंने आगे कहा “हाँ, वही तो बात है।
दूसरी रोटी #पत्नी की होती है जिसमें अपनापन और “समर्पण” भाव होता है जिससे “पेट” और “मन” दोनों भर जाते हैं।”,
क्या बात कही है यार ?” ऐसा तो हमने कभी सोचा ही नहीं।
फिर तीसरी रोटी किस की होती है?” एक दोस्त ने सवाल किया।
“तीसरी रोटी #बहू की होती है जिसमें सिर्फ “कर्तव्य” का भाव होता है जो कुछ कुछ स्वाद भी देती है और पेट भी भर देती है और वृद्धाश्रम की परेशानियों से भी बचाती है”,
थोड़ी देर के लिए वहाँ चुप्पी छा गई।
“लेकिन ये चौथी रोटी कौन सी होती है ?” मौन तोड़ते हुए एक दोस्त ने पूछा-
“चौथी रोटी #नौकरानी की होती है। जिससे ना तो इन्सान का “पेट” भरता है न ही “मन” तृप्त होता है और “स्वाद” की तो कोई गारँटी ही नहीं है”, तो फिर हमें क्या करना चाहिये।
माँ की हमेशा इज्ज़त करो, पत्नी को सबसे अच्छा दोस्त बना कर जीवन जिओ, बहू को अपनी बेटी समझो और छोटी मोटी ग़लतियाँ नज़रन्दाज़ कर दो । बहू खुश रहेगी तो बेटा भी आपका ध्यान रखेगा।
यदि हालात चौथी रोटी तक ले ही आयें तो ईश्वर का शुक्रिया करो कि उसने हमें ज़िन्दा रखा हुआ है, अब स्वाद पर ध्यान मत दो केवल जीने के लिये बहुत कम खाओ ताकि आराम से बुढ़ापा कट जाये, और सोचो कि वाकई, हम कितने खुशकिस्मत हैं।
English Translation
Some elderly friends were sitting in a park, there the topic of bread came up in conversation.
That’s why a friend said – do you know how many types of bread are there?
Some told about thick, thin and some other type of bread.
Then a friend said no friend… There are four types of bread on the basis of emotion and action.
The first ′′ most delicious ′′ bread ′′ filled with ′′ mother’s ′′ love ′′ and ′′ love. Which fills the stomach, but never fills the mind.
A friend said, sixteen annas is true, but mother’s bread is less available after marriage.
He continued, “Yeah, that’s it.
The second bread belongs to the wife, which has a sense of affinity and “dedication”, which fills both the “stomach” and the “mind”.
What have you said, friend?” We never thought like this.
Then whose is the third roti?” asked a friend.
“The third roti belongs to the #daughter-in-law, in which there is only sense of “duty”, which gives some taste as well as fills the stomach and saves from the troubles of the old age home”.
There was silence for a while.
“But what is this fourth bread?” Breaking the silence a friend asked-
“The fourth roti is of the #maid. Which neither fills the “stomach” of a person nor satisfies the “mind” and there is no guarantee of “taste”, then what should we do.
Always respect your mother, live life by making wife your best friend, consider daughter-in-law as your daughter and ignore minor mistakes. If the daughter-in-law is happy then the son will also take care of you.
If circumstances bring us to the fourth bread, then thank God that he has kept us alive, now do not pay attention to taste, eat very little just to live, so that old age can be passed comfortably, and think how lucky we are. .