एक बार भगवान बुद्ध एक धनी व्यक्ति के घर भिक्षा मांगने गए। धनी व्यक्ति ने कहा, ‘आप भीख क्यों मांगते हैं? भगवन् मुस्कुराए और कहा, ‘खेती ही करता हूं, दिन रात करता हूं और अनाज पैदा करता हूं।’
उस धनी व्यक्ति ने पूछा, ‘यदि तुम खेती करते हो, तो तुम्हारे पास बैल कहां है, अन्न कहां है ?’
भगवान बुद्ध ने कहा, ‘मैं अंतः करण में खेती करता हूं। विवेक मेरा हल और संयम तथा वैराग्य मेरे बैल हैं।’
मैं प्रेम, ज्ञान और अहिंसा के बीच बोता हूं और पश्चाताप के जल से उन्हें सींचता हूं। सारी उपज में विश्व को बांट देता हूं। यही मेरी खेती है।
In English
Once Lord Buddha went to ask for a begging house in a rich man’s house. The rich man said, ‘Why do you beg? God smiled and said, ‘I do farming, day and night and I create grains.’
The rich man asked, ‘If you are farming, then where is the bull with you, where is the food?’
Lord Buddha said, ‘I cultivate in heart. Vivek is my solution and restraint and quietness are my bulls. ‘
I sow between love, knowledge and non-violence, and I will sew them with the water of repentance. I share the world in all the produce. This is my farming.