Breaking News

Vainaiki Ganesh Chaturthi Vrat

64 वैनायकी गणेश 4 व्रत  वैनायकी गणेश चतुर्थी व्रत अथवा दुर्वा गणपति व्रत श्रावण शुक्ल पक्ष में चतुर्थी तिथि को किया जाता है। यह दुर्वा गणपति चतुर्थी के नाम से प्रसिद्ध है। गणेश जी का उद्भव यानी जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को हुआ था। हालांकि, श्रद्धालु पूरे साल के प्रत्येक पक्ष में गणेश जी के निमित्त चतुर्थी तिथि को व्रत रखते हैं। शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी या गणेश चतुर्थी कहते हैं, जबकि कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को श्रीकृष्ण चतुर्थी कहते हैं। चतुर्थी व्रत के दिन सुबह स्नान के बाद गणेश जी की मिट्टी की मूर्ति बनाकर पूजा करनी चाहिए। अगर गाय का गोबर मिल जाए, तो इससे भी गणेश की प्रतीकात्मक मूर्ति बनाई जा सकती है। पूजन के समय दूब के 21 अंकुर लेकर और उनके दो-दो अंकुर एकसाथ लेकर गणेश जी के 10 नामों की प्रतिष्ठा करनी चाहिए और 10 लड्डूओं से भोग लगाना चाहिए। गणेश जी के 10 नाम इस प्रकार हैं:- 1. गणाधिप 2. गौरी पुत्र 3. अघनाशक 4. एकदंत 5. ईशपुत्र 6. सर्वसिद्धिप्रद 7. विनायक 8. कुमार गुरु 9. ईभवक्त्राय 10. मूषक वाहक संत।गणेश जी की निम्नलिखित श्लोक से अर्चना करनी चाहिए:-

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नम कुरुमेदेव सर्वकार्येषु सर्वदा।।

Check Also

sunlight-clean-air-benefits

सौ रोगों की एक दवाई हवा धूप मेरे भाई

प्राकृतिक चिकित्सा का यह उद्घोष वाक्य संसार के पुस्तकालय की सबसे प्राचीनतम पुस्तकों में से …