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वृंदावन आई हु तुझसे मिलने को


वृंदावन आई हु तुझसे मिलने को
बरसाने से आई हु

कजारे नैनो ने जादू सा कर डारा,
लट लटके काली मोटे नैनं वाला

यमुना का किनारा हो आना जब मेरा हो
सांवरिया तुम से जब मिलन हमारा हो

तुम रास रचाते हो मुरली मधुर बजाते हो
छलियाँ हो बहुत बड़े दिल सब का चुराते हो

तेरी संवारी सूरत ने दीवाना बना डाला,
अखियाँ जादू भरी मस्ताना बना डाला……..


राधे कहे कृष्ण कृष्ण सीता कहे राम राम,
मेरे लिए तो दोनों इक समान,
कृष्ण कहो या राम,

त्रेता युग में राम के हाथो रावण का उधार हुआ,
द्वापर में कृष्ण के हाथो दुष्ट कंस का संगार हुआ ,
मेरे लिए तो दोनों शक्तिवान,
कृष्ण कहो या राम,

देखा प्रेम भीलनी का राम ने झूठे वेर खाये,
मित्र सुदामा के गठरी के श्याम सूखे चावल खाये
मेरे लिए दोनों का प्रेम महान,
कृष्ण कहो या राम,

माता की आज्ञा को लेकर राम ने इक आदर्श  दिखाया,
जीवन में क्या कर्म धर्म है कृष्ण कन्हैया ने बतलाया,
मिला मुझको दोनों से भरम का ज्ञान,
कृष्ण कहो या राम

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