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क्या है हमारा नैतिक धर्म

गौतम बुद्ध जिस वृक्ष के नीचे साधना कर बोध प्राप्त किया था। वह उसके प्रति वे अत्यंत ममता तथा श्रद्धाभाव रखते थे। जब भी वे वहां से गुजते तो बोधी वृक्ष का दर्शन करते नहीं थकते थे।

एक दिन एक नए शिष्य ने उन्हें बोधि बृक्ष को नमन करते हुए पूछा, ‘प्रभु! आप एक जड़ वस्तु को नमन क्यों करते हैं? तथागत बोले, जिस किसी वस्तु से मानव को लाभ और प्रेरणा मिलती है। उसे उस वस्तु या व्यक्ति के लिए कृतज्ञ रहना होता है। यही उसका नैतिक धर्म है।

ठीक इसी तरह सूर्य, चंद्रमा, नदी, पेड़-पौधे, इन सभी के उपकार के प्रति हमें कृतज्ञता रखनी चाहिए। इस तरह उस शिष्य की जिज्ञासा का समाधान हो गया।

Hindi to English 

Under the tree under which Gautama Buddha had attained understanding and understanding. He was very kind and reverential towards him. Whenever they walked from there, they did not tire of seeing the Bodhi tree.

One day a new disciple asked him, bowing down to the Bodhi tree, ‘Lord!’ Why do you bow down to a root object? Tathagata says, any object that benefits and inspires man. He has to be grateful for that person or person. This is his moral religion.

In the same way, we should be grateful for the blessings of the sun, moon, river, tree plants, all these. In this way the curiosity of that disciple was resolved.

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