एक महात्मा था, उनके एक शिष्य ने सवाल किया कि संसार में किस तरह के इन्सान को मुक्ति मिलती है ?
महात्मा अपने शिष्य को तेज बहाव की नदी पर लेकर गये और जाल डालकर मछलियों को पकडने के लिए कहा।
शिष्य ने नदी में जाल फेंका और कुछ मछलियाँ जाल में फंस गई।फिर महात्मा ने शिष्य से सवाल किया कि जाल मे अटकने के बाद मछलियों का व्यवहार कैसा है ?
शिष्य ने कहा कि कुछ मछलियाँ अपनी मस्ती में मस्त हैं , कुछ मछलियाँ छटपटा रही है और कुछ मछलियाँ आजाद होने के लिए भरपूर प्रयास कर रही हैं ,
लेकिन आजाद नहीं हो पा रही है। सभी मछलियां एक जैसी ही दिखाई दे रही है लेकिन तीन प्रकार का मछलियां का रवैया देखा।
महात्मा ने मुस्कराते हुए कहा तुम्हें तीन प्रकार की मछलियां दिखाई दिया लेकिन चार प्रकार की मछलियां है।
शिष्य ने कहा वो चौथे प्रकार मछली किस तरह और उसका रवैया क्या है ?
महात्मा ने कहा कि जो मछलियां अपनी मस्ती में मस्त हैं वो वह इन्सान जो इस संसार में खा-पीकर मस्त है।
दुसरा वो मछलियां जो छटपटा रही यह वो लोग हैं जो कभी-कभी सतसंग जाते हैं और ज्ञान की बातें करते हैं लेकिन अमल नहीं करते।
तीसरे प्रकार की मछलियां उस प्रकार के लोग हैं जो नित नेम सतंसग जाते है और भजन सिमरन भी करते हैं लेकिन मन में बदले में कुछ सांसारिक कामना रखते हैं
और जिसके अंदर सांसारिक कामना हो वो ना मुक्त हो सकते और ना ही ईश्वर के प्रति प्रेम।
शिष्य ने कहा चौथे प्रकार की मछलियां और लोग किस तरह है ?
महात्मा ने कहा कुछ मछलियां इस जाल में फंसती नहीं है वो सच्चे भक्त हैं ,
संसार महासागर है उसके अंदर मायाजाल है जो निस्वार्थ परमात्मा का भजन सिमरन करते वो इस मायाजाल में नहीं फंसते है।
राधे राधे
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There was a Mahatma, one of his disciples questioned what kind of person is liberated in the world?
The Mahatma took his disciple along the river of drift and asked to catch the fish by putting a trap.
The disciple threw a trap in the river and some fish were trapped in the trap. Then Mahatma asked the disciple how the fish’s behavior after being trapped in the trap?
The disciple said that some fish are cool in their fun, some fish are staggering and some fish are making great efforts to be free,
But can not be free. All the fish are looking similar but look at the three types of fishes.
Mahatma smiled saying, “You see three types of fish but there are four kinds of fish.”
The disciple said that what is the fourth type of fish and what is his attitude?
The Mahatma said that the fish which are happy in their fun, is the person who is happy eating and drinking in this world.
The other fish which are tiring, are those people who sometimes go to Satak and talk about knowledge but do not execute it.
The third type of fishes are people of similar kind who go unnoticed and also do bhajan simran but some mundane wishes in exchange for mind
And within which the worldly desires can not be freed nor love for God.
The disciple said, how are the four types of fish and how are the people?
The Mahatma said that some fish do not get entangled in this trap, they are true devotees,
The world is the ocean, there is a delusion inside it, which indulge in the worship of selfless soul, they are not trapped in this delusion.
Radhe Radhe