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कौन ज्यादा मनहूस आप या वो?

 

एक नगर में एक व्यक्ति इसीलिए मशहूर हो गया कि उसका चेहरा मनहूस था। ऐसा उस नगर में रहने वाले लोग कहते थे। यह बात जब राजा के पास पहुंची तो इस धारणा पर उन्हें विश्वास नहीं हुआ। राजा ने उस व्यक्ति को अपने महल में रख लिया और सुबह उठते ही उस व्यक्ति का मुंह देखा।

इस तरह राजा अपने दैनिक कार्यों में व्यस्त हो गए। व्यस्तता इतनी अधिक थी कि उस दिन राजा भोजन भी न कर सके। शाम होते ही उन्हें पूरा यकीन हो गया कि यह व्यक्ति वाकई में मनहूस है। उन्होंने उस व्यक्ति को फांसी पर चढ़ाने का आदेश दे दिया। राजा के मंत्री को यह बात पता चली तो वह राजा से मिले।

मंत्री ने राजा से कहा, ‘आप इस निर्दोष को दंड क्यों सुना रहे हैं।’ राजा ने कहा, ‘इस मनहूस का चेहरा सुबह देखने के बाद आज सुबह से ही भोजन नसीब नहीं हुआ।’ मंत्री ने कहा, ‘क्षमा करें महाराज! इस व्यक्ति ने भी सबसे पहले आपका मुंह देखा और शाम को उसे मृत्युदंड सुनाया गया।’

अब आप ही तय करें कि कौन ज्यादा मनहूस आप या वो? राजा को मंत्री की बात समझ आ गई और उस व्यक्ति को मृत्यु दंड नहीं दिया गया और ससम्मान पूर्वक विदा किया गया।

संक्षेप में

दरअसल किसी भी व्यक्ति का चेहरा मनहूस नहीं होता। वह तो भगवान की देन है। मनहूसियत हमारे देखने या सोचने के ढंग में होती है। यह नजरिया आपको पीछे धकेलता है और नजरिया सही हो तो जिदंगी बेहतर बन जाती है।

Hindi to English

A person in a city became famous because his face was miserable. That was what people living in that city used to say. When this matter came to the king, they did not believe in this belief. The king kept that person in his palace and rising in the morning saw the person’s face.

In this way the king got engaged in his daily activities. The busyness was so high that the king could not even eat that day. In the evening, he was convinced that this person is really niggardly. They ordered that person be hanged. When the king’s minister came to know about this, he met the king.

The minister said to the king, ‘Why are you punishing this innocent person?’ The king said, ‘After seeing the face of this ill-fated mornings, food has not been eaten since this morning.’ The minister said, ‘Sorry Maharaj! This person also first saw your face and in the evening he was sentenced to death. ‘

Now you decide who is more humiliated you or he? The king understood the point of the minister and the person was not given the death penalty and was sent away.

in short

Indeed, the face of any person is not a bad man. That is God’s gift. Opinion is in our way of thinking or thinking. This attitude pushes you back and if the viewpoint is correct, then jiddangi becomes better.

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