एक समय की बात है चीनी दार्शनिक चुआंग जू नदी किनारे मछली पकड़ रहे थे। उसी दौरान राजा के एक दूत ने आकार कहा, ‘सम्राट ने आपको अपना प्रधानमंत्री नियुक्त किया है।’ चुआंग जू ने राजा के उस दूत से प्रश्न किया, सुना है कि सम्राट के संग्रहालय में किसी दिव्य कछुए की ढाल सुरक्षित है।
बताओ, अगर वह कछुआ जीवित होता, तो क्या पसंद करता- सम्राट के संग्रहालय की शोभा बढ़ाना या जहां वह पैदा हुआ था, वहां की दलदल में लौटना?’
राजा के दूत ने कहा, दलदल में लौटना। चुआंग बोले, और में भी यही पसंद करता हूं। पद पाकर आदमी शांति खो बैठता है। और कभी-कभी अपना जीवन भी। सम्राट से जाकर कह देना, मुझे दलदल में लौटना ज्यादा पसंद है।
संक्षेप में
पद जब बढ़ता है तो जिम्मेदारी बढ़ती है। कभी-कभी जिम्मेदारियां इतनी अधिक बढ़ जाती हैं, कि व्यक्ति खुद के लिए समय नहीं निकाल पाता। ऐसे में दार्शनिक और विद्वान लोग पद के लालच से दूर रहते हैं। पद सम्मान तो देता है लेकिन सुख-चैन-शांति छीन लेता है।
Hindi to English
It is a matter of time that the Chinese philosopher Chuang Ju was fishing on the banks of the river. At the same time, an emperor of the king said, “The emperor has appointed you as your Prime Minister.” Chuang Xu asked the king’s messenger, heard that the mausoleum of any divine turtle is safe in the monarch’s museum.
Tell me, if that turtle was alive, what would it prefer – to increase the beauty of the museum of the emperor or to return to the swamp of where he was born? ‘
The king’s messenger said, returning to the swamps. Chuang spoke, and I liked the same. Man gets happiness after getting the post. And sometimes your life too. Going to the emperor, telling me, I like to return to the swamp.
in short
When the post increases, the responsibility increases. Occasionally responsibilities increase so much that the person can not take the time for himself. In this way, philosophers and scholars keep away from the greed of the post. He gives honor to the post but snatches peace and tranquility.