एक बार एक राजा के महल में एक व्यापारी दो गायों को लेकर आया। दोनों ही स्वस्थ, सुंदर व दिखने में लगभग एक जैसी थीं।
व्यापारी ने राजा से कहा- “महाराज! ये दोनों गायें माँ – बेटी हैं, परन्तु मुझे यह नहीं पता है कि दोनों में माँ कौन है और बेटी कौन है। मैं इसलिए नहीं जान पाया क्योंकि दोनों में कोई विशेष अंतर नहीं है। मैंने अनेक स्थानों पर लोगों से यह पूछा किंतु कोई भी इन दोनों में माँ-बेटी की पहचान नहीं कर पाया। बाद में मुझसे किसी ने यह बताया है कि आपका बुजुर्ग मंत्री बेहद कुशाग्र बुद्धि का है और यहाँ पर मुझे अवश्य मेरे प्रश्न का उत्तर मिल जाएगा इसलिए मैं यहाँ पर चला आया। कृपया मेरी समस्या का समाधान किया जाए!”
यह सुनकर सभी दरबारी मंत्री की ओर देखने लगे । मंत्री अपने स्थान से उठकर गायों की ओर गया। उसने दोनों का गहराई से निरीक्षण किया किंतु वह भी नहीं पहचान पाया कि वास्तव में कौन मां है और कौन बेटी है। अब मंत्री बड़ी दुविधा में फंस गया। उसने राजा से मां बेटी की पहचान करने के लिए एक दिन की मोहलत मांगी।
घर आने पर वह बेहद परेशान रहा। उसकी पत्नी इस बात को समझ गई। उसने जब मंत्री से परेशानी का कारण पूछा तो उसने सारी बात बता दी।
यह सुनकर उसकी बुद्धिमती पत्नी बोली- ‘अरे! बस इतनी सी बात है। यह तो मैं भी बता सकती हूँ।’
अगले दिन मंत्री अपनी पत्नी को वहां अपने साथ लेकर गया जहाँ गायें बंधी थीं। मंत्री की पत्नी ने दोनों गायों के आगे अच्छा भोजन रखा। कुछ ही देर बाद उसने माँ व बेटी में अंतर बता दिया। लोग चकित रह गए।
राजा ने पूछा कि उसने कैसे पहचाना कि कौन मां और कौन बेटी है तो मंत्री की पत्नी बोली – “पहली गाय जल्दी-जल्दी खाने के बाद दूसरी गाय के भोजन में मुंह मारने लगी और दूसरी वाली ने पहली वाली के लिए अपना भोजन छोड़ दिया। ऐसा केवल एक मां ही कर सकती है यानि दूसरी वाली माँ है। माँ ही बच्चे के लिए भूखी रह सकती है। माँ में ही त्याग, करुणा, वात्सल्य, ममत्व के गुण विद्यमान होते हैं।”
इस दुनियाँ मे माँ से महान कोई नही है। माँ के चरणों मे भगवान को भी झुकना पड़ता है। माँ ममता का सागर नहीं बल्कि महासागर है..।।