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Work of Kripalu Maharaj
कुंडा, प्रतापगढ़। राधा कृष्ण के प्रेम की गाथा सुनाकर ज्ञान का प्रचार प्रसार करने वाले कृपालु जी महाराज ने दर्जन भर साहित्यिक पुस्तकें लिखी हैं। कृपालु जी महाराज देश में विदेश में ज्ञान बांटने के साथ ही अपने जीवन काल में एक दर्जन से अधिक हस्तलिखित पुस्तकों का प्रकाशन भी किया। उनमें से प्रेम रस सिद्धांत महाराज जी के वैदिक दर्शन का ज्ञान कराती है। इसमें ईश्वर माया आत्मा का स्वरूप, कर्म ज्ञान योग, भक्तिमार्ग, वास्तविक गुरु का महत्व और कर्मयोग की क्रियात्मक साधना के विषय में उल्लेख किया गया है। इसी प्रकार भक्ति सतक पुस्तक में महाराज जी ने भक्तियोग के मार्ग को बताया है। इसमें सभी वेदों व शास्त्रों के सार को सौ दोहों में समाहित किया गया है।
इसके अलावा युगल सतक, युगल रस, युगल माधुरी, प्रेम रस मदिरा, राधा गोविंद गीत, श्याम श्याम गीत, ब्रज रस माधुरी, कृष्ण द्वादशी तथा राधा त्रयोदशी के साथ ही आडियो और वीडियो में जगद्गुरू कृपालु महाराज के कई सौ अद्भुत प्रवचन एवं भक्ति की दृष्टि से उत्तेजित करने वाली संर्कीतनों को समेटा गया है। इनमें से प्रेम रस मधिरा में महाराज जी ने अपने लेख के माध्यम से दर्शाया है कि इक्कीस माधुरियों से युक्त राधा कृष्ण की सब प्रकार की लीलाओं से युक्त 1008 पद है। इस पुस्तक में दीनता, भक्ति, समर्पण, तथा दिव्य प्रेम के सिद्धांत के गीत भी है । इन पुस्तकों का श्रवण करने के बाद कोई भी व्यक्ति भक्ति भावना में लीन हो जाएगा।
जगत गुरू ने समाज के लिए किए उत्कृष्ट कार्यजगत गुरु कृपालु जी महाराज ने समाज की सेवा के लिए उत्कृष्ट कार्य किए हैं। कृपालु जी महाराज ने सदैव समाज की आवश्यकताओं को देखते हुए गरीबों की सेवा करते रहे, वह चाहे शिक्षा जगत रहा हो या फिर चिकित्सा व्यवस्था। इसके साथ ही उन्होंने वस्त्रदान, सामान्य दावत, पात्रदान, नेत्र शिविर, त्यागमय जीवन व्यतीत करने वाले साधुओं के लिए साधु भोज, समय-समय पर चिकित्सा शिविर, कम्बल वितरण के साथ ही नि:शुल्क शिक्षा देने का कार्य किया जाता रहा है।
कृपालु जी महाराज के मन में सदैव गरीब व असहाय लोगों की मदद की भावना बनी रहती थी। यही वजह है कि आज उनकी मौत होने पर पूरा क्षेत्र गमगीन बना हुआ है।
जगत गुरु की मौत से परिजनों सहित सत्संगियों में कोहराम मचा है। उन्हें कृपालुजी महाराज की मौत पर तनिक भी भरोसा नहीं हो रहा है। भक्तिधाम मनगढ़ में अभी भी एक ऐसी कुटिया है, जिसमें महाराज जी के भाई के वंशज रहते है। ऊंची इमारतों के बीच बने छोटे पक्के मकान में रहकर जीवन यापन करने वाले महाराज जी के बड़े भाई रामनरेश त्रिपाठी के बेटे इंद्रनारायण का परिवार इस कुटिया में रहता है। तीन दिनों से इस परिवार ने कुछ नहीं खाया है। इंद्रनारायण भी कृपालु जी महाराज के कमरे में पड़े हुए है। पूरा परिवार गमगीन बना हुआ है।
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