यार तेरा सै टोटे मैं तेरी कैसी साहूकारी
अरै यार तेरी चौखट पै आया इबके निभादे यारी
बालकपन का यार मेरा सै नु सै दिल मैं आस घणी
धन दौलत की कमी नहीं तेरै दमड़ी तक मेरे पास नहीं
अरै मिश्राणी नै भेज दिया मैं आया शरण तिहारी
पाटे वस्त्र टूटे लित्तर छाले पड़ रहे पाया मैं
खाने नै कुछ पास नहीं तेरे दर्शन खातिर आया मैं
पैदल चलकर आया मैं ना कोई मोटर म्हारी
बिन मांगे भला क्यूकर देगा ना माँगण की औकात मेरी
कुछ लेकर आवैगा बापू बालक देखै बाट मेरी
घर मैं पड़ती डाट घणी कैसे जीवैगी घरवाली
खाली घर नै जांगा तो दिखे बढ़ जावैगी बात घणी
दुनिया तान्ने मारैगी तेरा कित गया साहूकार धणी
बलविंदर नै आस घणी तेरी यारी जग तै न्यारी……..