यमुना जल में तुम ऐसे नहाती हो क्यों,
ना लजाती हो क्यों,
इस तरह से नहाना तुम को नही चाहिए,
यमुना जल में तुम ऐसे नहाती हो क्यों,
यमुना जल में रहो तुम सभी यु खड़ी,
चीर दूंगा तुम्हारी नही गोपियों
चीर लेने को बाहर न आती हो क्यों
अब लजाती हो क्यों
इस तरह से नहाना तुम को नही चाहिए,
कान्हा पनघट पे चुपके से आते हो क्यों
तुम्हे छुप के यु आना नही चाहिए
जब नहाती हु सखियों के संग नीर में
चीर आके हमारे चुराते हो क्यों
चोरी चोरी याहा ना आया करो
सुन लो कान्हा न हम को सताया करो
यमुना जल में तुम ऐसे नहाती हो क्यों,
क्रोध इतना दिखाना नही चाहिए
ना नाहोगे अब यु बिना वस्त्र के
लो कसम यमुना की अब वादा करो
लो कसम खा के कहती हु संवारे
इस तरह अब कभी न न्हायेगे हम
यमुना जल में तुम ऐसे नहाती हो क्यों………..