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यशोदा के घर लला पधारे


भाजे रे संख और नगाड़े यशोदा के घर लला पधारे,
लला पधारे प्यारे कान्हा पधारे,
भाजे रे संख और नगाड़े यशोदा के घर लला पधारे,

भादों की अष्टमी रात अंधियारी
प्रगटे है कान्हा मैं जाऊ बलिहारी
घर घर में थाल भजा रे यशोदा के घर लला पधारे,

प्रभु ने ले अवतार लीला रचाई
सारी ब्रिज नगरी में बट ती वधाई,
जागे है जागे है भाग्य हमारे
यशोदा के घर लला पधारे,

देवकी पुत्र को यशोदा ने पाला
वासुदेव सूत है बना नन्द लाला
धरती को धन्ये किया रे
यशोदा के घर लला पधारे,

सांवरी सूरत आदत मन को लुबाती,
कान्हा की मुश्कान रस बरसाती
चोखानी गूंजे रे जय कारे
यशोदा के घर लला पधारे,,,,,,,,,

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