नदियाँ और समुद्र काफी प्राचीन समय से आपस में मिलकर रहते आ रहे थे। नदियाँ अपना पानी समुद्र में डालती थीं और समुद्र उस पानी को प्रसन्नतापूर्वक स्वीकार करता था ताकि नदियाँ साफ और सुरक्षित बनी रहें।
हालाँकि नदियों को यह बात अच्छी नहीं लगती थी कि समुद्र सारे पानी को खारा कर देता है। एक दिन उन्होंने समुद्र से इस बात को लेकर शिकायत करने का निश्चय किया।
वे सारी एकजुट होकर समुद्र के पास गईं। सारी नदियाँ विशाल नीले समुद्र के पास जाकर एक स्वर में बोलीं, “अरे समुद्र, हम लोग तुम्हारे पास इतनी मीठा पानी लाते हैं, लेकिन तुम उसे खारा क्यों कर देते हो?”
समुद्र कुछ देर शांत रहा और नदियों की नाराजगी भरी बातें सुनता रहा। फिर वह बोला, “अगर तुम नहीं चाहतीं कि यह पानी खारा हो, तो तुम लोग मुझसे दूर रहने लगो।”
नदियाँ चुपचाप मुँह लटकाए लौट पड़ीं क्योंकि वे जानती थीं कि वे समुद्र के बिना नहीं रह सकती हैं।