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मानव और सर्प !!

एक बार दुर्भाग्यवश एक किसान के बेटे का पाँव एक सर्प की पूँछ पर पड़ गया। पूँछ दबने से सर्प क्रोधित हो उठा और उसने बालक को काट लिया। सर्प विषैला था बालक की तत्काल मृत्यु हो गई।

क्रोधित किसान ने अपनी कुल्हाड़ी उठाई और साँप से बदला लेने के लिए उसकी पूँछ काट दी। साँप दर्द से कराह उठा। अब उसने भी बदला लेने की ठानी और जाकर किसान के मवेशियों को काट लिया।

भारी नुकसान हुआ। किसान ने विचारा, “बहुत नुकसान हो चुका… वैर से क्या लाभ? सर्प से मित्रता कर लेनी चाहिए। “

” एक प्याली में शहद डालकर किसान ने सर्प के बिल के पास जाकर कहा, “हम लोगों को एक दूसरे को क्षमा करके सारी बातें भूल जानी चाहिए… हम लोग क्या मित्र नहीं बन सकते?”

सर्प ने कहा, “नहीं, यह संभव नहीं है… तुम्हारा उपहार तुम्हें मुबारक हो। तुमने अपने पुत्र को खोया है जिसे तुम कभी नहीं भुला सकते हो और न ही मैं अपनी पूँछ का दुःख भुला सकता हूँ।

Moral of Story

शिक्षा : अपकार क्षमा किया जा सकता है पर भूला नहीं जा सकता।

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उसने अपने बैग से एक फोन निकाला, वह नया सिम कार्ड उसमें डालना चाहती थी। लेकिन सिम स्लॉट खोलने के लिए पिन की जरूरत पड़ती है, जो उसके पास नहीं थी। मैंने हाँ में गर्दन हिलाई और अपने क्रॉस बैग से पिन निकालकर लड़की को दे दी। लड़की ने थैंक्स कहते हुए पिन ले ली और सिम डालकर पिन मुझे वापिस कर दी