एक राजा ने अपने मंत्री को एक सोने का डंडा देकर कहा, “जो भी व्यक्ति तुम्हे तुमसे ज्यादा मूर्ख दिखाई दे, उसे यह सोने का डंडा दे देना क्युकी यह डंडा सिर्फ मूर्ख लोगो के लिए ही बना है।”
मंत्री डंडा लेकर चल पड़ा। बहुत तलाश करने के बाद उसे एक ऐसा मूर्ख दिखाई पड़ा जो उससे भी ज्यादा मूर्ख था और उस मंत्री ने वह सोने का डंडा उसे देकर कहा, “यदि तुम्हे कोई अपने से भी ज्यादा मूर्ख व्यक्ति मिले तो उसे यह डंडा दे देना।”
वह व्यक्ति भी अपने से ज्यादा मूर्ख व्यक्ति की तलाश में हर जगह घूमता रहा पर उसे ऐसा एक भी व्यक्ति न मिला। इस प्रकार कई महीनों तक भटकते हुए वह व्यक्ति उसी राजदरबार में पहुंचा।
जिस राजा ने अपने मंत्री को सोने का डंडा दिया था, वह व्यक्ति जैसे ही राजदरबार में पहुंचा तो वहां पर लोगो की भारी भीड़ लगी हुई थी। तभी वह व्यक्ति उस सोने के डंडे को अपने थैले में डालकर राजा से मिलने पहुंचा। तो उसने देखा की राजा तो बहुत ज्यादा बीमार पड़ा था और वेद जी उनकी नब्ज देख रहे थे।
तब राजा ने सभी लोगो से कहा, “मेरा अंत समय आ चूका है, अब मैं इस संसार को छोड़कर जा रहा हूँ।”
तभी उस व्यक्ति ने राजा से कुछ पूछने की आज्ञा मांगी।
राजा ने कहा, “पूछो क्या पूछना है तुम्हे? मगर जल्दी पूछो।”
फिर उस व्यक्ति ने पूछा, “महाराज आपकी सेना, हाथी, घोड़े और जो राज्य आपने कई राजाओ और लोगो को मारकर जीता है और उन राजाओ से जीता हुआ सोना, चांदी, हीरे, मोती इन सब का क्या होगा?”
यह सुनकर राजा के आंखो में आंसू आ गए और कहा, “यह सब अब मेरे किसी काम का नहीं है, यह सब यही रहेंगे।”
तभी उसी वक़्त वह व्यक्ति अपने थैले में से वह सोने का डंडा निकालकर राजा को देते हुए कहता है, “महाराज, संभालिए इस सोने के डंडे को इसके असली हकदार आप ही है क्युकी मुझसे कहा गया था की यह सोने का डंडा मैं उस व्यक्ति को दूँ जो मुझसे ज्यादा मूर्ख हो लेकिन मुझे यह कहने में कोई डर नहीं की महाराज आपसे ज्यादा कोई और मूर्ख हो ही नहीं सकता। क्युकी जब आपको पता था की यह सोना, चांदी, हीरे, मोती और इतने बड़े-बड़े राज्यों को आप मरने के बाद ऊपर भगवान के पास नहीं ले जा सकते तो फिर अपने इतने लोगो को क्यों मारा? क्यों अपना पूरा जीवन दूसरे राज्यों को लूटने में बिता दिया? क्या मिला आपको यह सब हासिल करके? इसलिए मेरे हिसाब से महाराज पूरी दुनिया में आपसे बड़ा मूर्ख कोई हो नहीं सकता। इसलिए मैं आपसे माफ़ी मांगता हूँ लेकिन यह डंडा आप ही रखिए।”
यह कहकर वहां से वह व्यक्ति चला जाता है। तभी राजा अपने डंडे को देखकर रोने लगता है। उसने मन ही मन सोचा की वास्तब में दुनिया का सबसे बड़ा मूर्ख मैं ही हूँ क्युकी मैंने बुरे कर्म तो बहुत किए मगर अच्छा कर्म एक भी नहीं किया। इस बात का राजा को बहुत ज्यादा पछतावा होता है।
तो दोस्तों जीवन में हर एक इंसान को हमेशा अच्छे कर्म और दुसरो की भलाई ही करनी चाहिए। क्युकी दोस्तों इंसान के मरने के बाद अच्छे कर्म और बुरे कर्म ही उसके साथ जाता है।