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Daily Archives: July 5, 2017

शुनशुनाओ की तरह सही सोच बनाती है महान

चीन के एक राजा थे नाम था ‘क्यांग’। उन्होंने शुनशुनाओ नाम के एक व्यक्ति को तीन बार अपना मंत्री बनाया और तीन बार ही हटा दिया। राजा के इस फैसले से शुनशुनाओ न तो कभी प्रसन्न हुए और न ही दुःखी। जब यह बात चीनी विद्वान किनबु को पता चली तो वो शुनशुनाओ से मिलने पहुंचे और किनबु ने इस …

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बचपन से ही थे गुरु नानक जी विद्वान, शिक्षक थे हैरान

  पंजाब का एक छोटा सा शहर तलवंडी में कालूराय बेदी की पत्नी तृप्ता देवी के गर्भ से एक शिशु का जन्म हुआ। यह शिशु बालक था, जिसने बड़े होकर अपना समूचा जीवन धार्मिक कट्टरता और धर्म के नाम पर होने वाले अत्याचारों और अनाचारों का विनाश करने के लिए समर्पित कर दिया।कालूराय बेदी तलवंडी के शासक राय दुलार के …

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इस तरीके से कमाया धन निंदनीय है

Emperor Ashoka  एक बार सम्राट अशोक के जन्म दिवस पर सर्वश्रेष्ठ शासन व्यवस्था करने वाले प्रांत प्रमुख को पुरस्कृत करने की घोषणा की गई। दरबार में मौजूद प्रांत प्रमुख क्रम से उठकर अपनी-अपनी उपलब्धियों सम्राट अशोक को बताने लगे। सबसे पहले उत्तरी सीमावर्ती प्रांत के प्रमुख ने कहा, ‘कर वृद्धि से इस वर्ष हमारे प्रांत की आय पहले से तीन …

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सहिष्णुता के लिए जरूरी है धैर्य और विनम्रता

GURU AMAR DAS JI सिखों के तीसरे गुरु अमरदास जी के दामाद जेठाजी अत्यंत विनम्र और सहनशील व्यक्ति थे। वे गुरु अमरदास जी की बहुत सेवा करते थे। एक दिन उन्होंने जेठा जी और दूसरे दामाद रामा को एक चबूतरा बनाने के लिए कहा। दोनों ने चबूतरा बना दिया। चबूतरे को देखकर गुरुजी बोले, ‘यह सही नहीं है। दुबारा से …

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स्वयं की अलग पहचान बनाना है तो कीजिए यह उपाय

एक गांव में एक किसान रहता था। वह रोज सुबह झरनों से साफ पानी लाने के लिए दो बड़े घड़े ले जाता था, जिन्हें वह डंडे में बांधकर अपने कंधे पर दोनों ओर लटका लेता था। उनमें से एक घड़ाकहीं से फूटा हुआ था, और दूसरा एकदम सही था। इस तरह रोज घर पहुंचते-पहुंचते किसान के पास डेढ़ घड़ा पानी …

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मन से हारें नहीं कन्फ्यूशियस कहते हैं इस तरह रखें संयम

एक बार एक साधक ने कन्फ्यूशियस से पूछा, मैं मन पर संयम कैसे रखूं? कन्फ्यूशियस ने उस व्यक्ति से पूछा, क्या तुम कानों से सुनते हो? साधक ने कहा, हां, मैं कानों से ही सुनता हूं। तब कन्फ्यूशियस ने कहा, मैं नहीं मान सकता तुम मन से भी सुनते हो और उसे सुनकर अशांत हो जाते हो। इसलिए आज से …

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दुर्जन से नहीं उनके दुर्गणों से घृणा करो

संत राबिया किसी धर्मग्रंथ का अध्ययन कर रही थीं। अचानक उनकी निगाह एक शब्द पर आकर रुक गई। वह शब्द था, ‘दुर्जनों से घृणा करो?’ वे कुछ देर तक उसी को दोहराती रहीं फिर उन्होंने उस पंक्ति को काट दिया। कुछ समय बाद दो संत उनके घर आए सामने रखे ग्रंथ पर उनकी निगाह पड़ी तो वे उस ग्रंथ को …

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एक रूपये की कीमत

                                                                       एक रूपये की कीमत बहुत समय पहले की बात है, सुब्रोतो लगभग 20 साल का एक लड़का था और कलकत्ता की एक कॉलोनी में रहता …

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