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चिल्लाओ मत ! Chillaao mat

Chillaao mat
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एक हिन्दू सन्यासी अपने शिष्यों के साथ गंगा नदी के तट पर नहाने पहुंचा. वहां एक ही परिवार के कुछ लोग अचानक आपस में बात करते-करते एक दूसरे पर क्रोधित हो उठे और जोर-जोर से चिल्लाने लगे .

संयासी यह देख तुरंत पलटा और अपने शिष्यों से पुछा ;

क्रोध में लोग एक दूसरे पर चिल्लाते क्यों हैं ?’

शिष्य कुछ देर सोचते रहे ,एक ने उत्तर दिया, ” क्योंकि हम क्रोध में शांति खो देते हैं इसलिए !”

” पर जब दूसरा व्यक्ति हमारे सामने ही खड़ा है तो भला उस पर चिल्लाने की क्या ज़रुरत है , जो कहना है वो आप धीमी आवाज़ में भी तो कह सकते हैं “, सन्यासी ने पुनः प्रश्न किया .

कुछ और शिष्यों ने भी उत्तर देने का प्रयास किया  पर बाकी लोग संतुष्ट नहीं हुए .

अंततः सन्यासी ने समझाया …

“जब दो लोग आपस में  नाराज होते हैं तो उनके दिल एक दूसरे से  बहुत दूर हो जाते हैं . और इस अवस्था में वे एक दूसरे को बिना चिल्लाये नहीं सुन सकते ….वे जितना अधिक क्रोधित होंगे उनके बीच की दूरी उतनी ही अधिक हो जाएगी और उन्हें उतनी ही तेजी से चिल्लाना पड़ेगा.

 

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