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कभी भगवान को भी भागत्ॉ से काम पड़े

Kabhi bhagwan Ko Bhi Bhagat Se Kam Pare Bhajan

जाना था गंगा पर प्रभु केवट की नाव चड़े, (2)अवध छोड़ प्रभु वन को आई, सिया राम लखन गंगा तट आई,
केवट मान ही मान हरषाए, घर बैठे परभु दर्शन पे,
हाथ जोड़ कर प्रभु के आयेज केवट मगन खड़े

प्रभु बोले तुम नाव चलाओ, पर हमे केवट पहुचाओ,
केवट कहता सुनो हमारी चरण धूल की माया भारी,
मैं ग़रीब नया मेरी माही ना होई पड़े

केवट दौड़ के जल भर लाया, चरण धोए चरणामृत पाया,
वेद ग्रंथ जिस के याश गये केवट उनको नाव चडाए,
बरसे फूल गगन से ऐसे भक्त के भाग बड़े

चली नाव गंगा की धारा, सिया राम लखन को पार उतरा,
प्रभु देने लगे नाव उतरई केवट कहे नही रघुराई,
पार किया मैने तुमको, अब तू मोहे पार करे

jaana tha ganga par prabhu kevat kee naav chade, (2)avadh chhod prabhu van ko aaee, siya raam lakhan ganga tat aaee,
kevat maan hee maan harashae, ghar baithe parabhu darshan pe,
haath jod kar prabhu ke aayej kevat magan khade

prabhu bole tum naav chalao, par hame kevat pahuchao,
kevat kahata suno hamaaree charan dhool kee maaya bhaaree,
main gareeb naya meree maahee na hoee pade

kevat daud ke jal bhar laaya, charan dhoe charanaamrt paaya,
ved granth jis ke yaash gaye kevat unako naav chadae,
barase phool gagan se aise bhakt ke bhaag bade

chalee naav ganga kee dhaara, siya raam lakhan ko paar utara,
prabhu dene lage naav utaree kevat kahe nahee raghuraee,
paar kiya maine tumako, ab too mohe paar kare

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