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Tag Archives: aatma

त्रिपुरुष – विज्ञान

sansaaree - vyavasaayee mein bhed

भगवान कृष्ण ने भगवद्गीता में अपने – आपको अव्यय आत्मा कहा है । इसी अव्ययात्म – स्वरूप का विशेषरूप से स्पष्टीकरण है – लोक में दो पुरुष हैं – एक क्षर, दूसरा अक्षर । इंद्रियों से जो जाने जाते हैं वे सब भूत क्षर हैं, उनमें कूटस्थ – नित्यरूप से रहने वाला – विकृत न होने वाला पुरुष अक्षर कहा …

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सत् – असत् का ज्ञान

saeen kee nagariya jaana hai re bande

सत् – असत् का विवेक मनुष्य अगर अपने शरीर पर करता है तो वह साधक होता है और संसार पर करता है तो विद्वान होता है । अपने को अलग रखते हुए संसार में सत् – असत् का विवेक करने वाला मनुष्य वाचक (सीखा हुआ) ज्ञानी तो बन जाता है, पर उसको अनुभव नहीं हो सकता । परंतु अपनी देह …

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जीवन में गुरु का महत्त्व

Jeevan Main Guru Ka Mehtav

प्रत्येक आत्मा को पूर्णता की प्राप्ति होगी और अंत में सभी प्राणी उस पूर्णवस्था का लाभ करेंगे यह बात निश्चित है । हमारी वर्तमान अवस्था हमारे पिछले कार्यों और विचारों का परिणाम है और हमारी भविष्य अवस्था हमारे वर्तमान कार्यों और विचारों पर अवलंबित रहेगी । ऐसा होते हुए भी हमारे लिये दूसरों से सहायता प्राप्त करने का मार्ग बंद …

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